हिमाचल प्रदेश में किसानों व मजदूरों के महापड़ाव का चौड़ा मैदान में समापन
केंद्र की मोदी सरकार की मजदूर, किसान, कर्मचारी व जनता विरोधी नीतियों के खिलाफ सीटू व हिमाचल किसान सभा के बैनर तले चले तीन दिवसीय महापड़ाव का समापन शिमला के चौड़ा मैदान में हुआ। तीन दिवसीय महापड़ाव में हिमाचल प्रदेश के हज़ारों मजदूर व किसान शामिल हुए। तीसरे दिन के महापड़ाव में प्रदेशभर से आए सैंकड़ों एनएचपीसी, एसजेवीएन, अस्पतालों, नगर निकायों, एसटीपी, पनबिजली परियोजनाओं के आउटसोर्स व ठेका मजदूर, होटल, टूरिस्ट गाइड, रेहड़ी फड़ी तयबजारी, विशाल मेगामार्ट, कालीबाड़ी, सैहब सोसाइटी मजदूर, बीबीएन के औद्योगिक व कोविड कर्मी शामिल हुए।
तीसरे दिन के महापड़ाव में सीटू राष्ट्रीय सचिव डॉ कश्मीर ठाकुर, प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, महासचिव प्रेम गौतम, किसान सभा प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह तंवर, डॉ ओंकार शाद, जगत राम, कुलदीप डोगरा, अजय दुलटा, बालक राम, मोहित वर्मा, ओमदत्त शर्मा, दलजीत सिंह, राकेश ठाकुर, सुदेश, नरेंद्र, अमित, रणजीत, जगमोहन ठाकुर, डॉ राजेन्द्र चौहान, डॉ विजय कौशल, रंजीव कुठियाला, विवेक कश्यप, राम प्रकाश, राम सिंह, महेश वर्मा, मेहर सिंह पाल, अनिल कौशल, सुरेंद्र कुमार, ओमप्रकाश, पाला राम, नरेश, बलबीर, गुरदेव, राजेन्द्र, सुनील, अजय, कृष्ण पाल आदि मौजूद रहे।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने कहा कि यह तीन दिवसीय महापड़ाव मजदूरों का न्यूनतम वेतन 26 हज़ार रुपये घोषित करने, मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों को रद्द करने, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों कल लागू करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ ही मनरेगा में 375 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 दिन कार्य दिवस प्रदान करने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण व आर्थिक लाभ बहाल करने, आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति बनाने, सैहब कर्मियों को नियमित करने, नौकरी से निकाले गए कोविड कर्मियों को बहाल करने, भारी महंगाई पर रोक लगाने, योजना कर्मियों को नियमित करने, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को रोकने, किसानों की कर्ज़ामुक्ति, बेरोजगारी, महंगाई, स्मार्ट मीटर योजना वापिस लेने आदि मांगों को लेकर हुआ।
उन्होंने कहा है कि केन्द्र की मोदी सरकार की नवउदारवादी व पूंजीपति परस्त नीतियों के कारण बेरोजगारी, गरीबी, असमानता व रोजी रोटी का संकट बढ़ रहा है। बेरोजगारी व महंगाई से गरीबी व भुखमरी बढ़ रही है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमज़ोर करने के कारण बढ़ती मंहगाई ने जनता की कमर तोड़ कर रख दी है। पेट्रोल, डीज़ल, रसोई गैस, खाद्य वस्तुओं के दामों में भारी वृद्धि हो रही है। उन्होंने *न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह और सभी श्रमिकों को पेंशन सुनिश्चित करने; मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं और बिजली संशोधन विधेयक को निरस्त करने, कॉन्ट्रेक्ट, पार्ट टाइम, मल्टी पर्पज, मल्टी टास्क, टेम्परेरी, कैज़ुअल, फिक्स टर्म, ठेकेदारी प्रथा व आउटसोर्स प्रणाली पर रोक लगाकर इन सभी मजदूरों को नियमित करने, नौकरी से बाहर किये गए सैंकड़ों कोविड कर्मियों को बहाल करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ मनरेगा में 375 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 दिन कार्य दिवस प्रदान करने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण व आर्थिक लाभ बहाल करने की मांग की। उन्होंने सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण व विनिवेश को रोकने, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन व अग्निपथ योजना को खत्म करने, महंगाई को रोकने और डिपुओं में राशन प्रणाली को मजबूत कर उसे सार्वभौमिक बनाने, आंगनबाड़ी, मिड डे मील, आशा वर्करज़ सहित सभी योजना कर्मियों को नियमित करने, बिजली बोर्ड, नगर निगमों, अन्य बोर्डों व निगमों के कर्मचारियों के लिए ओपीएस लागू करने, बीआरओ का निजीकरण रोकने व बीआरओ मजदूरों को नियमित करने, तयबजारी के लिए स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट लागू करने, मोटर व्हीकल एक्ट में मजदूर व मालिक विरोधी बदलाव वापिस लेने की मांग की।*
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