दलित शोषण मुक्ति मंच ने मनाया संविधान का 74 वां स्थापना दिवस

सीटू से सम्बंधित सैंकड़ों  आंगनबाड़ी व मिड डे मील कर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदेश सरकार सचिवालय छोटा शिमला पर जोरदार प्रदर्शन किया। जनसभा को सीटू राष्ट्रीय सचिव डॉ कश्मीर ठाकुर, प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, महासचिव प्रेम गौतम, उपाध्यक्ष जगत राम, भूपिंद्र सिंह, आंगनबाड़ी यूनियन अध्यक्षा नीलम जसवाल, महासचिव वीना शर्मा, मिड डे मील यूनियन अध्यक्ष इंद्र सिंह, महासचिव हिमी देवी, खिमी भंडारी, बलबिंद्र कौर, सुदेश, कौशल्या प्रीति, अजय दुलटा, राजकुमारी आदि ने सम्बोधित किया।

आंगनबाड़ी व मिड डे मील कर्मियों का एक  प्रतिनिधिमंडल मुख्य मंत्री से मिला व उन्हें मांग पत्र सौंपा। प्रतिनिधिमंडल सामाजिक न्याय एवम आधिकारिता मंत्री श्री धनी राम शांडिल से भी  मिला। उन्होंने आंगनबाड़ी हैल्परों की प्रमोशन के लिए 35 वर्ष की आयु सीमा के निर्णय को पूर्णतः वापिस लेने, प्री प्राइमरी में आंगनबाड़ी कर्मियों की सौ प्रतिशत नियुक्ति, इस नियुक्ति में 45 वर्ष की शर्त खत्म करने, सुपरवाइजरों के रिक्त पदों को भरने, माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार कर्नाटक व गुजरात की तर्ज़ पर ग्रेच्युटी सुविधा लागू करने, हरियाणा की तर्ज़ पर वेतन व वरिष्ठता लाभ देने, पंजाब की तर्ज़ पर मेडिकल सहित अन्य छुट्टियां देने, रिटायरमेंट आयु 65 वर्ष करने, मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों को अपग्रेड करके पूर्ण आंगनबाड़ी केंद्र का दर्ज़ा देने, मोबाइल रिचार्ज व स्टेशनरी की सुविधा देने, मेडिकल अथवा बीमारी के दौरान वेतन काटने पर रोक लगाने, पोषण ट्रेकर ऐप की दिक्कतों को दूर करने व नए मोबाइल देने आदि मांगों को पूर्ण करने का आश्वासन दिया।

वक्ताओं ने कहा कि मिड डे मील वर्करज़ को पिछले दो महीने से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। उन्होंने मांग की है कि यह भुगतान तुरन्त किया जाए। उन्होंने हरियाणा की तर्ज़ पर सात हजार रुपये वेतन की मांग की। माननीय हिमाचल उच्च न्यायालय  के निर्णयानुसार व पंजाब सरकार की तर्ज़ पर 10 के बजाए 12 महीने का वेतन दिया जाए। पंजाब सरकार के मिड डे मील व हिमाचल में आंगनबाड़ी की तर्ज़ पर 12 से 20 छुट्टियों की सुविधा दी जाए। उन्हें साल में दो वर्दी दी जाए। मल्टी टास्क भर्ती में मिड डे मील कर्मियों को प्राथमिकता दी जाए। उन्हें अतिरिक्त कार्य का अतिरिक्त वेतन दिया जाए। बन्द किए गए स्कूलों में अन्य स्टाफ की तरह मिड डे मील कर्मियों को भी दूसरे स्कूलों में समायोजित किया जाए। उनके लिए नौकरी से सम्बंधित 25 बच्चों की शर्त को हटाया जाए। उनसे चुनाव के समय पोलिंग पार्टी को खाना बनाने का कार्य न करवाया जाए। प्रत्येक स्कूल में अनिवार्य रूप से दो मिड डे मील वर्करज़ की नियुक्ति की जाए। 45वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार मिड डे मील कर्मियों को मजदूर का का दर्जा दिया जाए व उन्हें नियमित किया जाए।

वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार आंगनबाड़ी व मिड डे मील योजनाओं को कॉरपोरेट कम्पनियों के हवाले करना चाहती है। यही कारण है कि इन योजनाओं के बजट में लगातार कटौती की जा रही है। मोदी सरकार ने मिड डे मील योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री पोषण योजना करके इसे खत्म करके सुनियोजित साज़िश रची है। मोदी सरकार की नवउदारवादी नीतियों के चलते इन योजनाओं का निजीकरण तय है। देश में हज़ारों आंगनबाड़ी केंद्रों को वेदांता कम्पनी के हवाले किया जा चुका है।

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