फर्जी प्रोफेसर घोटाले में हाई कोर्ट का फैसला सहरानीय- एसएफआई

स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI)            

 प्रेस विज्ञप्ति     दिनांक:-07/09/23  आज दिनांक 07/09/23 को एस एफ आई ने प्रैस विज्ञप्ति जारी करते हुए फर्जी प्रोफ़ेसर भर्ती प्रक्रिया में उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है।
स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया फर्जी ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र के आधार पर वर्तमान नौकरी हथियाने वाले उम्मीदवार की नियुक्ति को रद्द करने के माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करता है।

एक प्रेस बयान में एसएफआई ने कहा कि वर्तमान स्थिति में माननीय न्यायालय आशा की किरण है।
 पिछले पांच वर्षों में सैकड़ों नियुक्तियां की गई हैं जो फर्जी ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र, फर्जी ओबीसी प्रमाणपत्र, संबंधित अधिकारियों द्वारा जारी किए गए फर्जी नेट छूट प्रमाण पत्र, विभिन्न निजी संस्थानों द्वारा जारी किए गए अनुभव और फर्जी प्रकाशनों जैसे फर्जी प्रमाणपत्रों पर आधारित हैं।

तत्कालीन कुलपति, वर्तमान में राज्यसभा सदस्य, जो स्वयं कुलपति के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं थे, अन्य लोगों के साथ मुख्य दोषी हैं,
 जिसके लिए माननीय उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश की अध्यक्षता में सूक्ष्म स्तर की जांच की तत्काल आवश्यकता है। .

ऐसा पाया गया है कि कई बार विज्ञापन की अंतिम तिथि समाप्त होने के बाद भी ऑनलाइन पोर्टल खोला गया है।
एसएफआई ने 154 शिक्षकों के 13000 से अधिक कागजात का रिकॉर्ड एकत्र किया है जिसमें उपरोक्त अनियमितताएं पाई गई हैं।
 और इसमें कड़ी जांच की आवश्यकता है।
इसलिए, आम जनता के लिए न्याय बहाल करना और कानून का शासन सुनिश्चित करना बहुत महत्वपूर्ण है।
 एसएफआई पिछले पांच वर्षों के दौरान हुई सभी नियुक्तियों की न्यायिक जांच की मांग करती है। 
वह जांच समिति माननीय उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश के अधीन गठित की जानी चाहिए।
 सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी गई सूचनाओं के निष्कर्षों को रखने का अवसर एसएफआई को प्रदान किया जाए।
सूचनाओं के तहत जब एस एफ आई ने छानबीन की तो लगभग 80% अभ्यार्थी आयोग्य पाए गए ।
 एस एफ आई का मानना है कि यदि आयोग्य प्रोफ़ेसर छात्रों को पढ़ायेंगे को शिक्षा का स्तर और ज्यादा गिरेगा । 
जो खुद आयोग्य हैं वह किस तरह की शिक्षा छात्रों को देंगे इस बात को हम भलीभांति समझ सकते हैं।
 एस एफ आई लगातार भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठा रही है।
 इस से पहले एस एफ आई ने इस मामले को राज्यपाल के समक्ष ज्ञापन के जरिए भी रखा । 
और पूर्व भाजपा सरकार को भी इसमें हस्तक्षेप और निष्पक्ष जांच करने के लिए ज्ञापन दिए थे और धरने प्रदर्शन भी किए थे । लेकिन इन धांधलियों में कही न कही पूर्व भाजपा सरकार के पिछलग्गू लोग होने के कारण भाजपा सरकार ने इसके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं की ।
 परंतु उसके बाद सत्ता में कांग्रेस सरकार आई और एस एफ का प्रतिनिधित्व मंडल शिक्षा मंत्री से भी इस मुद्दे को लेकर मिला और धरने प्रदर्शन भी लगातार कर रही है । 
परंतु सरकार के कानों पर जूं  तक नहीं रेंगी । 
एस एफ आई चाहती है कि उच्च न्यायालय सभी भर्तियों की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करे और सरकार भी इन भर्तियों में हस्तक्षेप करे व तमाम फर्जी भर्तियों को रद्द करे । 
अगर सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से संज्ञान नहीं लेती है और कार्यवाही नही करती है। तो एस एफ आई आने वाले समय में तमाम छात्र समुदाय को लामबद्ध करते हुए  उग्र आंदोलन करेगी जिसकी जिम्मेदार प्रदेश सरकार होगी । 



राज्य अध्यक्ष                 राज्य सचिव
रमन थारटा                  अमित ठाकुर

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