22 सितम्बर को हिमाचल प्रदेश विधानसभा का घेराव करेगी मिड-डे मील वर्करज यूनियन सम्बंधित सीटू

मिड डे मील वर्करज़ यूनियन सम्बंधित सीटू मिड डे मील वर्करज़ की मांगों को लेकर 22 सितम्बर को विधानसभा पर प्रदर्शन करेगी। इस दौरान प्रदेशभर से सैकड़ों मिड डे मील वर्करज़ रैली में भाग लेंगे। रैली पंचायत भवन से शुरू होगी व विधानसभा पर जनसभा होगी। 

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, महासचिव प्रेम गौतम, उपाध्यक्ष जगत राम, यूनियन प्रदेशाध्यक्ष इंद्र सिंह व महासचिव हिमी देवी ने कहा कि देश की मोदी सरकार मजदूर वर्ग पर तीखे हमले जारी रखे हुए है। केंद्र सरकार 45वें श्रम सम्मेलन की शर्त के अनुसार योजना मजदूरों को मजदूर का दर्जा देने, पेंशन, ग्रेच्युटी, स्वास्थ्य आदि सुविधा को लागू नहीं कर रही है। केंद्र में रही सरकारों ने वर्ष 2009 के बाद मिड डे मील कर्मियों के वेतन में एक रुपये की बढ़ोतरी भी अभी तक नहीं की है बल्कि मोदी सरकार तो इस योजना को कॉरपोरेट कम्पनियों के हवाले करना चाहती है। यही कारण है कि इस योजना के बजट में लगातार कटौती की जा रही है। मोदी सरकार ने मिड डे मील योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री पोषण योजना करके इसे खत्म करके सुनियोजित साज़िश रची है। सरकार मिड डे मिल योजना में केंद्रीय रसोई घर व डीबीटी शुरू कर रही है। स्कूलों में मिड डे मील के खाते बंद कर दिए गए हैं। केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति  लेकर आई है, जिसके चलते बड़े पैमाने पर सरकारी स्कूल बंद हो जाएंगे। यह सब करके भाजपा सरकार मिड डे मील वर्कर्स के रोजगार को खत्म करना चाहती है जिसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार मिड डे मिल वर्करों के साथ सौतेला  व्यवहार कर रही है व मिड डे मील वर्करज़ को मजदूर दर्जा सरकार नहीं दे रही है।  राज्य में मिड डे मील वर्करों को साढ़े तीन हज़ार रूपये मिलते हैं, वह भी समय पर नहीं मिल रहे हैं। इस महँगाई के दौर में यह वेतन बहुत कम है। प्रदेश सरकार द्वारा अप्रैल 2023 से घोषित चार हज़ार रुपये वेतन छः महीने बाद भी नहीं मिला है। पिछले पांच महीने से मिड डे मील कर्मियों को वेतन नहीं मिला है। प्रदेश में कई स्कूल बंद कर दिए गए हैं व वर्कर्स का रोजगार छीना जा रहा है। 

उन्होंने सरकार से मांग की है कि मिड डे मिल वर्कर का न्यूनतम वेतन 11250 रुपये किया जाए। मिड डे मील मजदूरों को हिमाचल हाई कोर्ट के 31 अक्टूबर 2019 के निर्णय अनुसार दस महीने के बजाए बारह महीने का वेतन दिया जाए। पांच महीने का बकाया वेतन तुरंत दिया जाए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 रद्द की जाए। स्कूल मर्ज होने या बंद होने की स्थिति में मिड डे मील वर्करों को प्राथमिकता के आधार पर अन्य सरकारी स्कूलों में समायोजित किया जाए। मिड डे मील योजना का किसी भी रूप में नीजिकरण न किया जाए। केन्द्रीय रसोईघरों व योजना को ठेके पर देने पर रोक लगाई जाए। डीबीटी के जरिए मिड डे मील योजना को खत्म करने की कोशिश बन्द की जाए व 12वीें कक्षा तक के सभी बच्चों (प्रवासी मजदूरों के बच्चों को भी) को मिड डे मील योजना के दायरे में लाया जाए। इसके लिए अधिक पोषित सामग्री तैयार करके वितरित की जाए। स्वयं सहायता समूह की बाध्यता बंद की जाए। दोपहर के भोजन के अलावा स्कूलों में नाश्ते का भी प्रावधान किया जाए। नई शिक्षा नीति लागू न की जाए। मिड डे मील वर्कर्स को कर्मचारी घोषित किया जाए।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पंजगाई पंचायत उपचुनाव में कांटे की टक्कर टास से हुआ हार जीत का फ़ैसला

टूरिस्ट गाइड लाइंसेंस बनाएं जाएं व रिन्यू किये जाएं चुडेश्वर टैक्सी यूनियन ने पर्यटन विभाग से की मांग

मनरेगा एवं निर्माण मजदूर फैडरेशन की प्रदेशव्यापी हड़ताल, हज़ारों मजदूर पहुंचे श्रमिक कल्याण बोर्ड के कार्यालय के बाहर