महिलाओं और कामकाजी लोगों को धोखा देने का प्रयास भारत की जनवादी महिला समिति की केन्द्रीय बजट पर प्रतिक्रिया

प्रैस विज्ञाप्ति
 जनवादी महिला समिति हिमाचल राज्य कमेटी ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के आखिरी पुर्ण बजट को बड़े पूजीपति घरानों के  एजेंडे को बढ़ाबा देने के लिये देश की महिलाओं और कामकाजी लोगो को धोखा देने का प्रयास किया है।बजट के नाम पर सरकार द्वारा फैलाई जा  रही कहानी झूठा छलावा करने और यह दिखाने के लिए बनाया गया है कि सब कुछ ठीक है और लोग आत्मनिर्भर हो रहे है।हालांकि, हमे मौजूदा सामाजिक वास्तविकता सरकार की तुलना करने की ज़रूरत है। 
बजट की प्रस्तुति को बढ़ती असमानता ओर गहराते आर्थिक संकट के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। वैश्विक असमानता रिपोर्ट, 2022 के अनुसार, 1प्रतिशत आबादी अर्थात भाजपा सरकार के पूंजीपति साथी, देश की 40 प्रतिशत से अधिक संपत्ति को नियंत्रित कर रहे हैं, जबकि 50 प्रतिशत केवल 3 प्रतिशत को नियंत्रित कर रहे हैं ओर अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। महिलाएं और उनके परिवार रोज़गार के गंभीर संकट से जूझ रहे हैं लेकिन बजट इस हकीकत से बेखबर है । इसके बजाय , ये वेतनभोगी वर्ग को न्यूनतम कर राहत प्रदान करता है।
बजट पर करीब से नज़र डालने से पता चलता है कि सरकार ने वास्तव में अपने खर्च में कटौती की है और सरकारी खर्च का आकार वास्तव में छोटा हो गया है। केंद्रीय बजट का सकल घरेलू उत्पाद का अनुपात 2022-2023 में 15.03 प्रतिशत (संशोदित) से घट कर 2023-2024 में 14.09 प्रतिशत (बजट अनुमान) हो गया है।  यदि हम वर्तमान मुद्रा स्फीति दर को ध्यान में रखते हैं, तो वास्तव में केंद्र सरकार के कुल बजटीय व्यय में कमी आईं है।
प्रधान मंत्री और वित्त मंत्री ने इस बजट को महिला समर्थक बजट बताया है, लेकिन इसके आंकड़े कुछ और ही कहानी बताते हैं। जीडीपी के अनुपात के रूप में जेंडर बजट का कुल अनुपात 0.71 प्रतिशत 2022-2023 से बढ़कर 0.73 प्रतिशत ,(BE) 2023-2024 हो गया है। लेकिन अगर हम महँगाई की बात करें तो इन आवंटनों का वास्तविक मूल्य लगभग 3 प्रतिशत  से कम है जो 2022 की तुलना में कम है। इसके अलावा, अधिकांश मामूली वृद्धि एक योजना प्रधान मंत्री आवास योजना के कारण हुई है, जिसे इस बजट मे बहुत प्रोत्साहन मिला है लेकिन ये वृद्धि काल्पनिक है। 
जहां तक महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का संबंध है, उसका कुल व्यय पूरे व्यय बजट का लगभग 0.05 प्रतिशत ही है। इसमें से लगभग 80 प्रतिशत सक्षम आंगनबाड़ी पोषण 2.0 योजना के लिए है। सुरक्षा मुद्दों और महिलाओं के खिलाफ हिंसा को संबोधित करने वाली योजनाओं के बजट में न्यूनतम बजटीय वृद्धि की गई है। इसके अलावा महिला खिलाड़यों के लिए कोई प्रावधान नही है जिनकी सुरक्षा आज के दिनों में एक प्रमुख चिंता का विषय बनी हुई है।  इस बजट का मुख्य ज़ोर महिलाओं की बचत को जुटाने ओर उन्हें कॉरपरेट सप्लाई चैन से जोड़ने पर है। वित्त मंत्री ने कहा कि दिन दयाल राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में 81 लाख बजट समूह है जिन्हें अपग्रेड करके बड़े उद्योमो में बनाया जाएगा।हालांकि,उन्हें प्रदान किया जाने वाला ऋण काफी हद तक निजी खिलाड़ियों के माध्यम से होगा ।
  महिलाओं के लिए घोषित नई बचत योजना , महिला सम्मान बचत पत्र , केवल कुछ ही महिलाओं को कवर करेगी, जो बचत कर सकती है। इस प्रकार सरकार द्वारा घोषित वितीय योजनाएं महिलाओं की बढ़ती ऋण ग्रस्तता की समस्या को दूर करने के लिए बहुत कम काम करेगी। इ
 आजीविका की कमी और एमएफआई ओर निजी लघु वित्त बैंकों द्वारा लगाए गए उच्च ब्याजदर। यह मोदी सरकार की नीतियों के कारण महिलाओं की बचत को इन निजी ऋण देने वाली एजेंसियों के निपटान में रखेंगी, जिनकी हिस्सेदारी आज वित्तीय बाज़ारों में बढ़ रही हैं।
राज्य सचिव।     राज्य अध्यक्ष
फालमा चौहान।  रीना सिंह

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