आजाद भारत का प्रथम युद्ध- किसान आंदोलन
किसान आंदोलन की नींव इस देश के किसानों ने बल्कि सत्ता के घोड़े पर सवार इस देश के सत्ताधीशों ने रखी जब सताधीश पुंजीपतियों के दबाव में आकर देश के किसानों की जमीन कानूनी रूप से कारपोरेट घरानों को सौंपने के सपने सजाने लगे , और किसानो की जमीन की बेदखली की तैयारी कर रहे थे, देश के किसानों ने जैसे ही सरकार का फैसला सुना देश का किसान अंचभित रह गया किसान जो अपनी जमीन को मां का दर्जा देता है वोअपनी मां को कैसे किसी के हाथ में जाने देता , वो भी उस देश का किसान जिस देश की 80% जनता कृषि पर निर्भर हो , सरकार के इस किसान विरोधी फैसले के खिलाफ किसान ने लडाई का रास्ता अख्तियार किया, अखिल भारतीय किसान सभा के प्रयासों से संयुक्त किसान मोर्चे का गठन किया गया इस मोर्चे में छोटे किसान, बडे किसान मझौले किसानों को एक मंच पर एकत्रित किया गया और समी सबकी समस्याओं और सुझावों को तहरिज दी गई, इसी के साथ शुरू हुआ आजाद भारत का ऐतिहासिक आन्दोलन, छोटी छोटी बैठकों, चर्चा और महापंचायत कर के किसानों की लामबंदीयां शुरू की गई सरकार के ...