बीजेपी और आरएसएस ने विश्वविद्यालय को बनाया भ्रष्टाचार का अड्डा- सीपीआईएम

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला भाजपा और आर एस एस के इशारे पर हो रही धांधलियों खिलाफ आज उपायुक्त कार्यालय शिमला के बहार प्रदर्शन किया ।प्रदर्शन में सैकडो कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।

 भाजपा और आर एस एस ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय को धांधलियों का अड्डा बना दिया है !
जिस तरह सिकंदर कुमार (कुलपति ), पी० एल ० शर्मा (निदेशक ) , अरविन्द भट्ट (डीन प्लानिंग ) ने अपने बच्चों के लिए विश्विद्यालय अनुदान आयोग के नियमों को ताक पर रख कर अपने बच्चों की पीएचडी में दाखिला किया है! यह बहुत बड़ा भ्र्ष्टाचार है इस का पुरजोर विरोध करती है।
जब भी कोई नियम बनता है तो उसे लागू करने के लिए रूल या प्रक्रिया बनती है , थोड़े समय के लिय मान लो की विश्वविद्यालय के शिक्षकों और कर्मचारियों के बच्चों के लिए पीएचडी में एक सीट आरक्षित कर भी दी तो क्या यहां सिकंदर कुमार,  अरविन्द भट्ट और पी० एल ० शर्मा  के बच्चे ही थे 1200 गैर शिक्षक और करीब 350 शिक्षक हैं विश्विद्यालय में ! क्या प्रक्रिया अपनाई गई प्रवेश के लिए ? क्या  सभी  विभागों में सभी को बराबर आवेदन करने का मौका दिया ? आवेदन के लिए अधिसूचना निकाली गई ? बहुत ही शर्मनाक कृत्य भाजपा और आर एस एस के इन लोगों ने किया है ऐसा प्रतीत होता है की अगर पीएचडी में प्रवेश का पिछला दरवाजा न होता तो न जाने इन के बच्चों का क्या होता! ये स्वातता का गलत फायदा उठाने की कोशिश है ! यही लोग पहले पिछले दरवाजे से अपने बच्चों को पीएचडी में दाखिला करवाते हैं कल को पिछले दरवाजे से ही विश्विद्यालय में नौकरी लगवायेंगे और बर्बाद करेंगे प्रदेश के भोली भाली जनता के बच्चों को यही असली चरित्र है भाजपा और आर एस एस का !
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी लोकल कमेटी ने आरोप लगाया है की भाजपा और आर एस एस की धांधलियों यहीं ख़त्म नहीं हो रही है अपने कार्यकर्ताओं को पीएचडी में प्रवेश दयाल उपाध्याय चेयर में और डिग्री जॉर्नलिस्म में होने की  भी कोशिश हो रही है।
कहाँ है विश्विद्यालय का एक्ट और आर्डिनेंस, कहाँ है वैधानिक निकाय जैसे विभाग की बोर्ड ऑफ़ स्टडीज , फैकल्टीज, अकादमिक कौंसिल ?
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में जो पीएचडी प्रवेश में घोटालेबाजी चल रही है किसी बड़े गिरोह का हाथ होने से इंकार कैसे किया जा सकता है। इतने बड़े स्तर पर कैसे यह गड़बड़ी बिना विश्वविद्यालय के अधिकारियों के मिलीभगत से कैसे संभव है।
जिन अधिकारियों पर प्रदेश विश्वविद्यालय के अधिनियम के अनुसार कार्य करने की जिमेदारी है जैसे डॉ० सिकंदर कुमार ( कुलपति) डॉ० अरविंद भट्ट ( डीन प्लानिंग) डॉ० पी० एल ० शर्मा( निदेशक UIIT) ने नियमों की धाजिया उड़ाकर अपने बच्चो को पीएचडी में पिछले दरवाजे से  पीएचडी में एडमिशन करवा रहे है।
ये तीनों एडमिशन यूजीसी के नियमो के खिलाफ है इसलिए इन एडमिशन को तुरंत निरस्त किया जाना चाहिए।
यही नहीं बल्कि कार्यकारी परिषद की बैठक में जो जून 2020 में हुई उसमे यथास्थान मद के तहत अपने बच्चो द्वारा दी गई फीस को गैरकानूनी तरीके से रिफंड किया गया 


मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का मानना है की विश्विद्यालय वित्तीय गड़बड़ियों का अड्डा बन गया है? जो पैसा विभिन्न विभागों और केंद्रों ने इकट्ठा किया था जैसे UIIT , UILS , UCBS उसका दुरपयोग अपने ऐशो आराम के लिए किया जा रहा है ! कोविड काल में गलत कार्य करने के लिए सच में अबसर में तब्दील कर दिया है !

सबसे बड़ा वित्तीय घोटाला देखिए एक कानून कोविड काल (जब छात्र परिसर में नहीं थे ) में कुलपति ने वि वि कार्यकारी परिषद में पास करवा दिया कि कर्मचारियों और शिक्षकों के बचे जो पीएचडी से अन्य विभागों में दाखिला लेंगे उनकी आधी फीस माफ़ होगी ! अब देखिये इस अधिसूचना को लागू पूर्वव्यापी यानि retrospectively किया गया और करोड़ों रूपये विश्विद्यालय के खजाने से वापिस किये और सबसे पहले लाभार्थी सिकंदर कुमार खुद कुलपति बने!


सीपीआईएम ने आरोप लगाया कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय लगातार भ्रष्टाचार का अखाड़ा बनता हुआ नजर आ रहा है। और कुछ भ्रष्ट अधिकारी विश्वविद्यालय की साख को धूमिल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे है 
विश्वविद्यालय के अंदर लगातार पीएचडी के अंदर अपने चहेतों को बैक डोर तरीके से भर्ती किया जा रहा है जहां एक और आम छात्र के लिए पीएचडी में दाखिला लेने के लिए प्रवेश परीक्षा से होकर गुजरना पड़ता है या नेट जेआरएफ जैसी परीक्षा उत्तीर्ण करनी पड़ती है वही विश्वविद्यालय ने एक नया शिगूफा छोड़ते हुए विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के बच्चों को सिर्फ ₹100000 देकर बिना प्रवेश परीक्षा की पीएचडी में दाखिला दे दिया।

पार्टी के सचिव बाबू राम  ने कहा की इससे ज्यादा शर्मनाक बात विश्वविद्यालय के लिए नहीं हो सकती जहां एक ओर आम गरीब किसान मजदूरों के
बच्चे  दिन रात एक  करके पीएचडी में दाखिला लेने के लिए मेहनत  कर रहा है उनको बिल्कुल दरकिनार करते हुए सिर्फ अपने चहेतों को दाखिला दे दिया और उसमे भी कोई विज्ञापन इन सीटों को लेकर जारी नहीं किया गया  और ये कोई पहली बारी नहीं है जब ऐसी धांधलिया PhD के अंदर हुई है दीन दयाल उपाध्याय पीठ के अंदर भी सिर्फ एक विशेष विचारधारा के लोगों को भर्ती किया गया जिसमें कोई भी advertisement नहीं निकाली गई।
सीपीआईएम लोकल कमेटी सचिव बाबू राम ने कहा की बीजेपी सरकार  विश्वविद्यालय प्रशासन  भारी विरोध के बाद  एक बचकाना स्पष्टीकरण जारी किया और जिस में कहा कि इससे विश्वविद्यालय के निम्न वर्ग के कर्मचारियों के बच्चों को उच्च शिक्षा हासिल करने में सहायता मिलेगी, बड़ी हैरानी की बात है कि PhD में दाखिला लेने के लिए  वाइस चांसलर को भी निम्न श्रेणी के कर्मचारी में सम्मिलित कर दिया सीपीआईएम ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय की रैंकिंग के अंदर गिरावट के लिए भी ऐसे ही भ्रष्ट अधिकारी और उनके कारनामे जिम्मेवार हैं ।
 विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यप्रणाली पूरी तरह से चरमराई हुई है जहां एक ओर सब्सिडाइज्ड सीटों को खत्म करके सिर्फ नॉन सब्सिडाइज सीटों को विभागों के अंदर बार-बार बढ़ाया जा रहा है ताकि छात्रों से भारी-भरकम फीस लूटी जा सके । विश्वविद्यालय के कुलपति इसको आरएसएस का अखाड़ा बनाना चाहते है 
विश्वविद्यालय के कुलपति अपनी शक्तियों का दुरुपोग कर रहे है  अपने बेटे के एडमिशन के लिए यूजीसी की गाइडलाइन को भी दरकिनार कर दिया गया है।
सीपीआईएम  इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन करेंगी 
सीपीआईएम मांग करती है की 
विश्वविद्यालय के आला अधिकारी डॉ० सिकंदर कुमार ( कुलपति) डॉ० अरविंद भट्ट ( डीन प्लानिंग) ओर डॉ० पी० एल ० शर्मा ( निदेशक UIIT) ने जो अपने बच्चो को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रावधानों के खिलाफ जो पीएचडी में प्रवेश दिया है उसे तुरंत रद्द किया जाए।
विश्वविद्यालय के अलग अलग विभागों में नियमो को ताक पर रख कर जो शिक्षक कोटे से पीएचडी में प्रवेश दिए है उसकी जांच और अपात्र व्यक्तियों के प्रवेश रद्द हो।
विश्वविद्यालय में पीएचडी में जो भारी मात्रा में गड़बड़ियां हुई है और जो रही है की न्यायिक जांच हो ।
 इस महाघोटाले के खिलाफ हि..प्र. उच्च न्यायालय को स्वयं संज्ञान लेकर आम छात्रों को न्याय प्रदान करना चाहिए व गलत प्रवेशों को रद्द करना चाहिए।
बाबू राम
सचिव
सीपीआईएम
लोकल कमेटी शिमला

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