नेशनल मोनेटाईजेशन पाइपलाईन के खिलाफ हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन

सीटू की केंद्रीय कमेटी के आह्वान पर हिमाचल प्रदेश के दर्जनों स्थानों पर नेशनल मोनेटाइज़ेअशन पाइपलाइन के खिलाफ प्रदर्शन किये गए। शिमला के डीसी ऑफिस में हुए प्रदर्शन में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा,रामपुर में प्रदेश महासचिव प्रेम गौतम,जगत राम,रोहड़ू में अजय दुलटा,हमीपुर में राष्ट्रीय सचिव कश्मीर ठाकुर,चंबा में सुदेश ठाकुर,कांगड़ा में रविन्द्र कुमार,केवल कुमार,ऊना में गुरनाम सिंह,बिलासपुर में विजय शर्मा,मंडी में भूपेंद्र सिंह,राजेश शर्मा,कुल्लू में राजेश ठाकुर,सोलन में एनडी रणौत,ओमदत्त शर्मा,नाहन में राजेंद्र ठाकुर,टापरी में मदन नेगी,जीवन नेगी,दिनेश नेगी आदि शामिल हुए।

           शिमला के उपायुक्त कार्यालय में हुए प्रदर्शन को सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा,प्रदेश सचिव रमाकांत मिश्रा,राज्य कमेटी सदस्य बाबू राम,बालक राम,राकेश कुमार व सुरेंद्र बिट्टू ने सम्बोधित किया। उन्होंने केंद्र सरकार से नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन योजना को वापिस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह योजना केंद्र सरकार की पूंजीपतियों से सीधी मिलीभगत का नतीजा है। केंद्र सरकार पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए पूंजीपतियों की गोद में बैठ गयी है व देश की राष्ट्रीय सम्पत्तियों को उनके समक्ष गिरवी रख रही है। केंद्र सरकार छः लाख  करोड़ रुपये इकट्ठा करने की आड़ में लगभग तीस लाख करोड़ रुपये की सार्वजनिक संपत्ति को कौड़ियों के भाव पूंजीपतियों के पास गिरवी रख रही है। इस पूरी प्रक्रिया में एयरपोर्ट,रेलवे,बंदरगाहों,नेशनल हाईवे,ऊर्जा क्षेत्र,प्राकृतिक गैस,पेट्रोलियम पदार्थ,कोयला खदानों,गोदामों,होटलों,स्टेडियम आदि क्षेत्रों को पूंजीपतियों के हवाले किया जा रहा है। यह देश के आर्थिक संसाधनों की सीधी लूट है। नेशनल हाइवे के छबीस हज़ार किलोमीटर की आठ लाख करोड़ रुपये की संपत्ति को डेढ़ लाख करोड़ रुपये में बेचा जा रहा है। यह सब भाजपा सरकार द्वारा पूंजीपतियों कप फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। 

         केंद्र सरकार द्वारा पिछले सात वर्षों में किये गए निजीकरण के कारण सार्वजनिक क्षेत्र में नियमित सोलह लाख नौकरियों से लगभग सात लाख लोगों की छंटनी हो गई है। निजीकरण की प्रक्रिया से इस क्षेत्र से लगभग आधा रोज़गार खत्म हो गया है। नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन देश में बेरोजगारी को चरम पर ले जाएगी। यह देश की संप्रभुता पर तीखा हमला है। इस योजना से देश की जनता,कर्मचारियों व मजदूरों को सीधा नुकसान होगा।

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