बेलगाम होती मंहगाई के खिलाफ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का उपायुक्त कार्यालय शिमला के बाहर हल्ला बोल प्रदर्शन
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्सवादी) सरकार द्वारा गैस के दामों में की गई वृद्धि की कड़े शब्दो में निंदा करती है।
सीपीआईएम द्वारा आज प्रदर्शन किया गया प्रदर्शन में राज्य सचिवालय सदस्य प्रेम गौतम ,राज्य कमेटी सदस्य विजेंद्र मेहरा, जगत राम बलबीर , जिला कमेटी चंद्रकांत, जगमोहन ठाकुर ,महेश वर्मा ,विजय कौशल , बालक राम,विनोद, किशोरी, सुरिंदर बिट्टू, सोनिया,कलावती, रमाकांत मिश्रा ,नेहा विवेक,अमित, पवन शर्मा, बंटी, रंजीव कुठियाला, हिमि देवी सैकडो कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
सरकार ने कोरोना काल में उपजी भारी बेरोज़गारी व गरीबी में जनता पर भारी महंगाई थोप दी।
एक तरफ लोगो के रोजगार चले गए है दूसरी तरफ सरकार लगातार जनता पर आर्थिक बोझ डाल रही है । लगातार रसोई गैस के दामों में वृद्धि करके लोगो को लुटा जाए रहा है।
गैस ही नही बल्की मई से लेकर अब तक 22 बार पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि हो चुकी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें घटने के बावजूद भी देश में पेट्रोल व डीज़ल की कीमतें आज तक के इतिहास में सबसे ऊंचे स्तर पर हैं। इस से एक तरफ दोपहिया व चार पहिया वाहनों का इस्तेमाल करने वालों पर भारी मार पड़ी है वहीं दूसरी ओर इस से खाद्य वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि हो गयी है। खाद्य वस्तुएं जनता की पहुंच से बाहर हो गयी हैं। खाने के तेल,दालों व अन्य वस्तुओं की कीमतों में बाज़ार व राशन के डिपुओं में भारी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि पेट्रोल,डीज़ल में प्रति लीटर पर 53 रुपये एक्साइज डयूटी व वैट के रूप में वसूले जा रहे हैं जोकि कुल कीमत का लगभग साठ प्रतिशत है। सीपीआईएम ने मांग की है कि पेट्रोल डीजल पर एक्साइज डयूटी व वैट की दर घटाई जाए। सीपीआईएम रसोई गैस के सिलेंडर में सब्सिडी बढाने व खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कटौती करने की मांग की।
बाबू राम ने कहा है कि केंद्र व प्रदेश सरकार की नवउदारवादी पूँजीपतिपरस्त व गरीब विरोधी नीतियों के कारण महंगाई चरम पर पहुंच चुकी है। रसोई गैस की कीमत भी बेतहाशा बढ़ चुकी है। गैस सिलेंडर की कीमत 1000 रुपये तक पहुंच गई है। पेट्रोल की कीमत 96 से 100 रुपये व डीज़ल की कीमत 88 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई है। सरसों का तेल बाजार में 180 रुपये व डिपुओं में 160 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। डिपुओं में दालों की कीमतों में हाल फिलहाल 10 रुपये की वृद्धि की गई है। पिछले महीने की अपेक्षा इस महीने डिपुओं में आटा की मात्रा 14 किलो से घटाकर 11 किलो प्रति कार्ड कर दी गयी है। इस से जनता भारी परेशानी में हैं। सीपीआईएम ने मांग की है कि पेट्रोल,डीज़ल व खाद्य वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित किया जाए व इसमें कटौती की जाए। उन्होंने रसोई गैस पर सब्सिडी बढाने की मांग की है। उन्होंने उन्होंने राशन डिपुओं में दालों,तेल व खाद्य वस्तुओं की कीमतों में की गयी वृद्धि को वापिस लेने की मांग की है। महंगाई व गैस के दामों में की गई वृद्धि के खिलाफ सीपीआईएम ने प्रदर्शन किया बाबू राम ने कहा केंद्र की मोदी सरकार ने सरकारी सम्पति को बेचकर पैसे जुटाने कार्यक्रम को नया नाम नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन(एनएमपी) दिया है, जिसके जरिये मोदी सरकार ब्राउनफील्ड इंफ्रास्ट्रक्चर एसेट से पैसे जुटाने की कोशिश कर रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। जब से यह सरकार सत्ता में आयी है, तब से निजीकरण द्वारा देश की सम्पतियों को लगातार बेच रही है। जब सब कुछ बिक ही जाएगा तो देश में क्या बचेगा?
पहले संपत्ति को बनाने के लिए योजनाएं बनती थी, अब बेचने के लिए, क्या यही हैं अच्छे दिन? आज एक निरकुंश ताकतवर सरकार देश की जनता की कमाई से बनी संम्पतियों को बिना पूछे कुछ ताकतवर उद्योगपतियों के कब्ज़े में दे रही हैं। यह देश की जनता भी ये जानती इसे ताक़त के दम पर बेशर्मी से हड़पना कहतें हैं। बावजूद इसके लोग जाति – धर्म के नाम पर बंटकर निरकुंश सत्ता का रास्ता आसान कर रहे हैं। जब देश में एक ईस्ट इंडिया कंपनी आयी तो देश सालों गोरों के गुलाम रहा और आज मोदी सरकार अपने कुछ पूंजीपति मित्रों के हाथों जनता की संपत्ति बेच रही है। लीज तो एक बहाना मात्र है। इस सरकार ने देश को कर्ज में डाल दिया है और अब सब कुछ बेचने पर आमादा है.
बाबू राम
सचिव
सीपीआईएम लोकल कमेटी
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