पुरे प्रदेशभर में हर्षोल्लास से मनाया गया सीटू का 51वां स्थापना दिवस

सीटू के देशव्यापी आह्वान पर मजदूर संगठन सीटू द्वारा हिमाचल प्रदेश के जिला,ब्लॉक मुख्यालयों,कार्यस्थलों,गांव तथा घर द्वार पर सीटू कार्यकर्ताओं द्वारा स्थापना दिवस मनाया गया। इस दौरान प्रदेश भर में हज़ारों मजदूरों ने अलग-अलग जगह कोविड नियमों का पालन करते हुए अपनी भागीदारी की व ध्वजारोहण किया। सीटू स्थापना दिवस कार्यक्रम शिमला,रामपुर,रोहड़ू,निरमण्ड,बिथल, झाकड़ी,नाथपा,टापरी,बायल, चिडग़ांव,सोलन,बद्दी,नालागढ़,परवाणू,अर्की,भागा भलग,बघेरी,नाहन,पौंटा,शिलाई,सराहन,कुल्लू,आनी, सैंज,बंजार,पतलीकुहल,बजौरा,औट, मंडी,बल्ह,रिवालसर,धर्मपुर,सरकाघाट,जोगिंद्रनगर,निहरी,बालीचौकी,हमीरपुर,सुजानपुर,नादौन,बड़सर,भोरंज,बिझड़ी,बैजनाथ,पालमपुर,धर्मशाला,परौर,नगरोटा,चम्बा,भरमौर,तीसा,चुवाड़ी,ऊना,गगरेट आदि में किए गए।

               सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने कहा है कि इस बार का सीटू स्थापना दिवस कोरोना योद्धाओं को समर्पित किया गया। कार्यक्रमों में कोरोना से जान गंवाने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। उन्होंने कोरोना से जान गंवाने वालों को सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशनुसार आपदा राहत कोष से तुरन्त चार लाख रुपये जारी करने की मांग की है। उन्होंने 23 वर्ष की आयु के बाद कोरोना से मौत का शिकार हुए लोगों के बच्चों को दस लाख की आर्थिक मदद को देर से मदद देने का कदम बताया। दस लाख की यह मदद मिलने में बच्चों को कई साल का वक्त लगेगा इसलिए इस मदद से पहले इन बच्चों को तुरन्त चार लाख की मदद दी जाए ताकि वे जिंदा रह पाएं व उन्हें 23 वर्ष की उम्र में दस लाख रुपये की आर्थिक मदद भी दी जाए। उन्होंने सभी आयकर मुक्त परिवारों को 7500 रुपये की आर्थिक मदद व परतीं व्यक्ति दस किलो राशन की व्यवस्था करने की मांग की है ताकि कोरोना महामारी से बेरोजगार हुए लोगों का जीवन यापन सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कोरोना वैक्सीन का सार्वभौमिकरण करने की मांग की है। 
    
         उन्होंने कहा है कि कोरोना काल में केंद्र व प्रदेश सरकारें मजदूरों,किसानों,खेतिहर मजदूरों व तमाम मेहनतकश जनता की रक्षा करने में पूर्णतः विफल रही हैं व उन्होंने केवल पूंजीपतियों की धन दौलत सम्पदा को बढ़ाने के लिए ही कार्य किया है। कोविड महामारी को केंद्र की मोदी सरकार ने पूंजीपतियों के लिए लूट के अवसर में तब्दील कर दिया है। यह सरकार महामारी के दौरान स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने में पूर्णतः विफल रही है। कोरोना महामारी की आपदा में भी केंद्र सरकार ने केवल पूंजीपतियों के हितों की रखवाली की है। सरकार का रवैया इतना संवेदनहीन रहा है कि यह सरकार सबको अनिवार्य रूप से मुफ्त वैक्सीन तक उपलब्ध नहीं करवा पाई है। कोरोना काल में लगभग चौदह करोड़ मजदूर अपनी नौकरियों से वंचित हो चुके हैं परन्तु सरकार की ओर से इन्हें कोई मदद नहीं मिली। इसके विपरीत मजदूरों के 44 श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी चार लेबर कोड बना दिये गए। हिमाचल प्रदेश में पांच हज़ार से ज़्यादा कारखानों में कार्यरत लगभग साढ़े तीन लाख मजदूरों के काम के घण्टों को आठ से बढ़ाकर बारह कर दिया गया। किसानों के खिलाफ तीन काले कृषि कानून बना दिये गए। डॉक्टर,नर्सिंग स्टाफ,पैरामेडिकल,सभी स्वास्थ्य कर्मियों,आशा,आंगनबाड़ी,सफाई,सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट कर्मियों,आउटसोर्स कर्मियों जैसे कोरोना योद्धाओं की रक्षा करने में यह सरकार पूर्णतः असफल रही है।इन्हें बीमा सुविधा तक देने में यह सरकार विफ़ल हुयी है। लाखों लोग महामारी की चपेट में अपनी जान गंवा चुके हैं परंतु उनके परिवार को सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली है। इसके बजाय खाद्य वस्तुओं,सब्जियों व फलों के दाम में कई गुणा वृद्धि करके जनता से जीने का अधिकार भी छीना जा रहा है। पेट्रोल-डीजल की बेलगाम कीमतों से जनता का जीना दूभर हो गया है। कोरोना काल में सरकारों की नाकामी के कारण देशभर में सैंकड़ों मेहनतकश लोगों को आत्महत्या तक करनी पड़ी है।

               उन्होंने कहा है कि हिमाचल प्रदेश की स्थिति भी वस्तुतः देश जैसी है। प्रदेश की आर्थिकी में पर्यटन बहुत ही महत्वपूर्ण साधन है। प्रदेशभर में पांच हज़ार से ज़्यादा पंजीकृत होटल व होम स्टे हैं। रेस्तरां व ढाबों की संख्या इस से कई गुणा ज़्यादा है। पर्यटन कारोबार में इसके अलावा टैक्सी,टूअर एन्ड ट्रेवल,गाइड,कुली,रेहड़ी फड़ी तयबजारी संचालक,घोड़े वाले,फोटोग्राफर,एडवेंचर स्पोर्ट्स वाले व दुकानदार जुड़े हुए हैं। प्रदेश की कुल जनसंख्या का तीस प्रतिशत पर्यटन से प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से जुड़ा हुआ है जो करोना महामारी में पूरी तरह बर्बाद हो गया है। हिमाचल प्रदेश में निजी ट्रांसपोर्ट के कार्य में लगे लगभग तीन लाख ऑपरेटर व कर्मी पूरी तरह बर्बादी के कगार पर पहुंच चुके हैं। इन सबका रोज़गार खत्म हो गया है। निजी स्कूलों की भारी भरकम फीसों ने इन स्कूलों में पढ़ने वाले सात लाख छात्रों व उनके ग्यारह लाख अभिभावकों सहित अठारह लाख लोगों की कमर तोड़ दी है। इन स्कूलों के सैंकड़ों अध्यापकों व कर्मचारियों की या तो नौकरी से  छुट्टी कर दी गयी है या फिर उन्हें वेतन नहीं दिया जा रहा है। प्रदेश के कारोबारी व व्यापारी भी पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं व उनके पास कार्यरत हज़ारों सेल्जमैन बेरोजगार हो गए हैं। प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में सात प्रतिशत का योगदान देने वाले छः हज़ार करोड़ रुपये के पर्यटन कारोबार को बर्बादी से बचाने के लिए हिमाचल सरकार ने कुछ नहीं किया है। इस उद्योग की बर्बादी से प्रदेश में हज़ारों मजदूरों का रोज़गार खत्म हो गया है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश में सबसे ज़्यादा मजदूर मनरेगा व निर्माण क्षेत्र में कार्यरत हैं। इसलिए मनरेगा में हर हाल में दो सौ दिन का रोज़गार दिया जाए व राज्य सरकार द्वारा घोषित तीन सौ रुपये न्यूनतम दैनिक वेतन लागू किया जाए। हिमाचल प्रदेश कामगार कल्याण बोर्ड से पंजीकृत सभी मनरेगा व निर्माण मजदूरों को वर्ष 2020 में घोषित छः हज़ार रुपये की आर्थिक मदद सुनिश्चित की जाए व छः हज़ार रुपये की यह आर्थिक मदद वर्ष 2021 के लिए अलग से भी जारी की जाए।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पंजगाई पंचायत उपचुनाव में कांटे की टक्कर टास से हुआ हार जीत का फ़ैसला

प्रताप चौहान बने होटल यूनियन के अध्यक्ष विक्रम शर्मा को महासचिव की कमान

टूरिस्ट गाइड लाइंसेंस बनाएं जाएं व रिन्यू किये जाएं चुडेश्वर टैक्सी यूनियन ने पर्यटन विभाग से की मांग