छात्र अभिभावक मंच का प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त शिमला से मिला
निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस उगाही व मानसिक प्रताड़ना के विषय में प्रदेश सरकार द्वारा गठित कमेटी द्वारा त्वरित कार्रवाई शुरू करने की मांग को लेकर छात्र अभिभावक मंच का प्रतिनिधिमंडल मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा की अध्यक्षता में उपायुक्त शिमला से मिला व उन्हें सात सूत्रीय ज्ञापन सौंपा। मंच ने मांग की है कि टयूशन फीस के अलावा अन्य चार्जेज़ की वसूली का मामला पीटीए व स्कूल प्रबंधन पर छोड़ने के बजाए उपायुक्त स्वयं स्कूलों की छानबीन करें व सभी तरह के चार्जेज़ पर रोक लगाई जाए। प्रतिनिधिमंडल में विजेंद्र मेहरा,फालमा चौहान,कमलेश वर्मा,राजकुमार,हेमंत कुमार,रमेश शर्मा,प्रीतपाल मट्टू,प्रीति,नमिता,पूनम सहित कुल तीस अभिभावक शामिल रहे।
छात्र अभिभावक मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा,फालमा चौहान,कमलेश वर्मा,राजकुमार,रमेश शर्मा,हेमंत शर्मा व प्रीतपाल मट्टू ने उपायुक्त को निजी स्कूलों की लूट,मनमानी व मनचाही फीस उगाही से अवगत करवाया। इन स्कूलों ने कोरोना महामारी के दौर में भी अभिभावकों से मनचाही फीस उगाही की है। एनुअल चार्जेज़,कम्प्यूटर फीस,स्मार्ट क्लास रूम,केयर,मिसलेनियस अन्य चार्जेज़ वसूली के लिए ये स्कूल मोबाइल संदेशों के माध्यम से अभिभावकों को डराते,धमकाते व मानसकि तौर पर प्रताडित करते रहे हैं। कोरोना काल में निजी क्षेत्र में कार्यरत सत्तर प्रतिशत अभिभावकों का रोज़गार पूर्णतः अथवा आंशिक तौर पर प्रभावित हुआ है। अपना निजी कार्य करने वाले अभिभावकों की स्थिति भी दयनीय हुई है। इस दौरान निजी क्षेत्र में कार्यरत अभिभावकों को नियोक्ताओं द्वारा कई महीने का वेतन तक नहीं दिया गया। ऐसी परिस्थिति में जब अभिभावकों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी तो निजी स्कूल प्रबंधनों,शिक्षा निदेशालय व प्रदेश सरकार से उन्हें सहानुभूति व मदद मिलनी चाहिए थी परन्तु निजी स्कूलों ने इस अवसर को भी मुनाफाखोरी का एक माध्यम बना लिया।
विजेंद्र मेहरा ने कहा कि निजी स्कूलों की मनमानी का आलम यह है कि निजी स्कूल एक तरफ टयूशन फीस के अलावा सभी तरह के चार्जेज़ की मांग कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर सत्र के शुरू में ली गयी हज़ारों रुपये की ट्रांसपोर्ट फीस को भी न तो अभिभावकों को वापिस कर रहे हैं और न ही फीस में सम्माहित कर रहे हैं। एचआरटीसी ने भी बस पास के नाम पर हज़ारों छात्रों से लाखों रुपये की जो उगाही मार्च से मई 2020 के लिए की है,उसे भी अभिभावकों को लौटाया नहीं गया है। जब छात्र एक भी दिन स्कूल नहीं गए तो किस बात के चार्जेज़ व ट्रांसपोर्ट फीस वसूली की जा रही है। यह सब आर्थिक लूट व मानवीय संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है। उन्होंने उपायुक्त से मांग की है कि छात्रों से वर्ष 2019 की तर्ज़ पर केवल टयूशन फीस वसूली जाए। एनुअल चार्जेज़,कम्प्यूटर फीस,स्मार्ट क्लास रूम,केयर,मिसलेनियस व अन्य सभी प्रकार के चार्जेज़ पर रोक लगाई जाए। 10 नवम्बर 2020 को शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी की गयी अधिसूचना को रद्द किया जाए व सभी तरह की चार्जेज़ वसूली पर रोक लगाई जाए। इस अधिसूचना की आड़ में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्णय को गलत तरीके से पेश करने वाले व अभिभावकों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने वाले निजी स्कूल प्रबंधनों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। 8 दिसम्बर 2020 की अधिसूचना को रद्द किया जाए क्योंकि यह अधिसूचना निजी स्कूलों को फायदा पहुंचाएगी। जब वर्ष 2020 में निजी स्कूलों में कक्षाएं ही नहीं चलीं,अभिभावकों के जनरल हाउस ही नहीं हुए तो पीटीए का गठन कब,कैसे और कहां पर हो गया। इसलिए पीटीए बैठक करके फीस तय करने का शिक्षा निदेशालय का आदेश सच्चाई से कोसों दूर है। निजी स्कूल डम्मी पीटीए के ज़रिए फीस व अन्य चार्जेज़ वसूली पर मोहर लगाकर अभिभावकों का शोषण कर रहे हैं। निजी स्कूलों को निर्देश दिए जाएं कि वे किसी भी बच्चे को ऑनलाइन क्लासेज़,परीक्षाओं आदि से वंचित न करें व उनकी मानसिक प्रताड़ना न करें। जिन बच्चों को स्कूल से निकाला गया है,उन्हें तुरन्त स्कूल में वापिस लिया जाए। निजी स्कूलों को निर्देश दिए जाएं कि वे किसी भी बच्चे अथवा अभिभावकों को मोबाइल सन्देश भेजकर मानसिक दबाव न बनाएं। अभिभावकों पर ऑनलाइन क्लासेज़ के लिए बच्चों को नए मोबाइल खरीदने व हर महीने डेटा प्लान के रूप में हज़ारों रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा है। प्रदेश सरकार इसकी भरपाई करे। निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीसें ऐंठने के लिए वार्षिक रिज़ल्ट पर रोक लगाई गई है। इन वार्षिक रिज़ल्ट को तुरन्त घोषित किया जाए तथा छात्रों व अभिभावकों की मानसिक प्रताड़ना बन्द की जाए।
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