नगर निगम द्वारा जारी किऐ गऐ 8महीने के पानी के बिलो को तुरंत वापिस ले नगर निगम-माकपा
प्रेस विज्ञप्ति
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) शिमला शहरवासियों को नगर निगम द्वारा 8 महीने के भारी भरकम पानी के बिलों देने की कड़ी भर्त्सना करती है तथा मांग करती है कि इन बिलों को तुरंत वापिस ले तथा कोविड19 महामारी के कारण संकट के चलते इस समय के पानी, कूड़ा उठाने की फीस, प्रॉपर्टी टैक्स व अन्य बिलों में छूट प्रदान की जाए। कोविड19 के कारण अधिकांश लोगों के रोज़गार व कारोबार पर गंभीर संकट के चलते इनकी आर्थिक दशा अच्छी नहीं है और आज लोग हजारों व लाखों रुपए के भारी भरकम पानी व अन्य बिलों का भुगतान करने में बिल्कुल असमर्थ है। कोविड19 के संक्रमण का प्रदेश व शिमला शहर में बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सरकार व नगर निगम द्वारा इस प्रकार का आर्थिक बोझ डालकर इस संकट को और अधिक गहरा किया जा रहा है।
कोविड19 के कारण पिछले लगभग 8 महीने में देश, प्रदेश व शिमला शहर में अधिकांश ध्याड़ी मज़दूरी तथा छोटा व अन्य कारोबार करने वाले लोगो का रोज़गार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। जिसके कारण आज भी इनका रोजी रोटी का संकट बरकरार है। इस संकट के दौर में सरकार व नगर निगम से इनको कोई भी राहत प्राप्त नहीं हुई है। बल्कि इसके विपरीत सरकार व नगर निगम शिमला ने पानी, बिजली, बस किराया, प्रॉपर्टी टैक्स, कूड़ा इकट्ठा करने की फीस आदि हर प्रकार के कर व फीस में वृद्धि कर जनता पर और अधिक टैक्स का बोझ डाल दिया है। सरकार के पास कोविड19 को निपटने के लिए करोड़ों रुपए आए हैं परन्तु सरकार इसमें से जनता को कोई भी आर्थिक या अन्य रूप से राहत प्रदान नहीं कर पाई है। सीपीएम के द्वारा कई बार प्रदेश की सरकार व नगर निगम शिमला से इस महामारी से पैदा हुए संकट के कारण बिजली, पानी, प्रॉपर्टी टैक्स, कूड़ा इकठ्ठा करने की फीस आदि माफ कर राहत प्रदान करने की मांग की गई परन्तु सरकार व नगर निगम ने इसे अनसुना किया आज आजतक किसी को भी कोई राहत प्रदान नहीं की गई।
जबसे बीजेपी प्रदेश सरकार व नगर नगर शिमला में सत्तासीन हुई है तबसे ही पानी, बिजली, बस किराया, प्रॉपर्टी टैक्स, कूड़ा उठाने की फीस आदि सेवाओं में कई गुणा वृद्धि कर जनता पर आर्थिक बोझ लादने का काम कर रही है। इसके साथ इन सेवाओं के निजीकरण को बढ़ावा देने का काम कर रही है। जिसका ज्वलंत उदाहरण सरकार के दबाव में आकर वर्तमान नगर निगम शिमला ने शहर के पानी की व्यवस्था को पूर्व नगर निगम द्वारा लम्बे संघर्ष के बाद नगर निगम के अधीन बनाए गए ग्रेटर शिमला वाटर सप्लाई एंड सीवरेज सर्कल (GSWSSC) को समाप्त कर विश्व बैंक व सरकार के दबाव में आकर शिमला जल प्रबंधन निगम लिमिटेड(SJPNL) कंपनी का गठन कर इसको निजी हाथों में देने की प्रक्रिया आरम्भ की गई है। जिसके कारण आज नगर निगम का बिल्कुल भी इस कंपनी के मनमाने निर्णयों पर कोई रोक लगाने का अधिकार नहीं रह गया है। आज भी शहर के कई इलाकों में 2 से 3 दिनों तक पानी की आपूर्ति नहीं कि जा रही है परन्तु नगर निगम इस पर कोई भी निर्णय नहीं ले पाता है और कंपनी के समक्ष लाचार नजर आता है। नगर निगम शिमला एक संवैधानिक संस्था होने के बावजू सरकार के दबाव में आकर सरकार के एक विभाग के रूप में कार्य कर केवल सरकार के आदेशों की ही पालना कर रहा है और वह शिमला शहर की जनता के हितों की रक्षा करने में पूर्णतः विफल हुआ है। शिमला शहर के विधायक जो शहरी विकास मंत्री व नगर निगम शिमला के सहयोगी सदस्य भी है वह भी शहर की जनता के हितों की रक्षा के बजाय सरकार में मंत्री के रूप में कार्य कर नगर निगम को जनविरोधी निर्णय लागू करने के लिए बाध्य कर जनता पर सरकार के जनविरोधी निर्णय थोपने का ही कार्य कर अपना दायित्व निभाने में पूर्णतः विफल रहे हैं।
सीपीएम सरकार व नगर निगम शिमला से मांग करती है कि 8 माह के इन पानी के भारी भरकम बिलों को तुरंत वापिस ले तथा कोविड19 महामारी के समय के पानी व अन्य बिलों पर छूट दी जाये। अन्यथा पार्टी शहर में शहरवासियों के समस्त नागरिक, सामाजिक व अन्य जनसंगठनों के सहयोग से सरकार व नगर निगम शिमला के द्वारा लागू की जा रही जनता पर आर्थिक बोझ डालने वाली व सेवाओं के निजीकरण की जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध तथा सभी को सस्ती वहन करने योग्य व बेहतर जन सेवाओं को उपलब्ध करवाने के लिए संगठित होकर संघर्ष कर इन नीतियों को बदलने के लिए सरकार व नगर निगम को बाध्य करेंगी। ताकि शिमला शहर में प्रत्येक नागरिक के लिए बेहतर जीवनयापन के बराबर अवसर प्राप्त हो सके व वह गौरवमय व शांतिपूर्ण जीवन यहां व्यतीत कर सके।
संजय चौहान
जिला सचिव
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