धान की फसल खराब होने पर किसानों को उचित मुआवजा दे सरकार-कुशाल भारद्वाज
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धान की फसल खराब होने पर किसानों को उचित मुआवजा दे सरकार:- कुशाल भारद्वाज
22 सितंबर 2020- जोगिंदर नगर- हिमाचल किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष कुशाल भारद्वाज ने जोगिंदर नगर के विभिन्न गांवों के किसानों की धान की फसल की तबाही और पौधे में बीज न आने के लिए कृषि विभाग और प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए किसानों को उचित मुआवजा देने की मांग की है। जोगिंदर नगर के दारट बगला, भरोलू, मझवाड़, घमरेहड़, बस्सी, मझारनू, कुंडून्नी, कोन्सल, खुद्दर, भराडू, आलगवाड़ी सहित अनेकों गांवों में सैकड़ों बीघा जमीन पर कड़ी मेहनत से बोई गई धान की फसल में बीज से पौधा तो अंकुरित हुआ, पौधा बड़ा भी हुआ लेकिन बाद में पुराने पौधे का निषेध कर जो नया बीज आना था वह नहीं आया। ऐसा इस लिए हुआ कि पौधे में सिला या अंकुर ही नहीं आए। ये पौधे घास के अलावा किसी भी काम नहीं आने वाले हैं और किसान परिवार अपने को लूटा हुआ महसूस कर रहे हैं। जिस फसल के सहारे किसान का घर परिवार चलता है वह फसल तो पूरी तरह से तबाह है। स्वभाविक है कि किसान परिवार आँसू ही बहा सकते हैं। ऐसी परिस्थिति से सैंकड़ों किसान परिवारों के सामने रोटी का संकट पैदा हो गया हैI
कुशाल भारद्वाज ने कहा कि वैसे भी जोगिंदर नगर के किसानों ने धान के अलावा बाकी फ़सल बीजना छोड़ ही दिया है, क्योंकि जिन खेतों में पहले मक्की, गेहूं, दालें और अन्य फसलें भरपूर होती थीं, वहाँ बंदर, सूअर, सेहल, फरडू, नील गाय, तोता, मोर सहित कई जंगली जानवर व आवारा पशुओं का आतंक है तथा आवारा पशुओं की भारी तादाद है। प्रदेश और केंद्र की सरकार ने किसानों की फसलों को बचाने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किए हैं। यही कारण है कि किसान बहुत सी फसलों की खेती छोड़ने पर विवश हुए हैं। धान की खेती में ये जंगली जानवर और आवारा पशु ऐसा प्रहार नहीं करते हैं, वहीं बरसात में जंगलों और आस पास सभी जगह प्रचुर मात्र में हरा घास मौजूद रहने से आवारा पशुओं से धान की फसल बच जाती है। इसी लिए जोगिंदर नगर के अधिकांश किसान साल में एक ही फसल यानि धान की खेती पर ही निर्भर हैं, लेकिन इस बार सरकार द्वारा जिन देसी विदेशी बीज कंपनियों से बीज खरीद कर किसानों को उपलब्ध करवाया गया है, उस बीज में ही खोट है। वही बीज अंकुरित हो कर पौधे में तो तबदील हो गया लेकिन पौधे में नए बीज आए ही नहीं हैं। किसान सभा पहले भी आगाह कर चुकी है कि कृषि क्षेत्र में कॉर्पोरेट कंपनियों की घुसपैठ असल में किसानों की जमीने हड़पने की चाल है और हमारी केंद्र और राज्य की किसान विरोधी सरकारें इन कंपनियों को कई रियायतें दे कर किसानों को खेती से पलायन के लिए मजबूर कर रही हैं। उन्होने सवाल उठाया कि क्या बीज कंपनियों ने जान बूझ कर कृषि विभाग को ऐसे बीज उपलब्ध करवाए हैं इसकी भी जांच होनी चाहिए। उन्होने कहा कि ये जो तर्क दिया जा रहा है कि ये बीज जल्दी बीजने चाहिए थे भी सरासर गलत है, यदि ऐसा है तो बीज बेचती बार किसानों को सही जानकारी उपलब्ध क्यों नहीं करवाई गई।
ऐसा जोगिंदर नगर ही नहीं बल्कि देश और हमारे प्रदेश के कई हिस्सों में पहले भी ऐसी शिकायतें मिली हैं। जिसमें गेहूं, टमाटर, कपास आदि अन्य फसलों को चौपट करने के लिए बीज कंपनियों ने नकली व घटिया बीज उपलब्ध करवाए हैं। किसान सभा ने मांग की है कि जोगिंदर नगर उपमंडल और प्रदेश में जहां भी किसानों को धान के नकली व घटिया बीज दिये जाने से हुए का उचित मुआवजा किसानों को दिया जाये। किसान सभा की मांग है कि जोगिंदर नगर में जल्दी ही एक टास्क फोर्स गठित की जाये जो हर किसान के खेत का दौरा कर नुकसान का आकलन कर पूरा जायजा ले। किसानों को गलत बीज के कारण नष्ट फसल का प्रति बीघा कम से कम 20 हजार रुपए मुआवजा दिया जाये तथा जो खर्चा किसानों ने फसल उगाने के लिए बीज, खाद, लेबर, ट्रैक्टर पर किया है उसकी भी भरपाई की जाये। किसान सभा इस के लिए सभी प्रभावित किसानों को संगठित कर मुआवजे की लड़ाई लड़ेगी। उन्होंने सभी किसानों से आग्रह किया है कि केंद्र सरकार ने लॉक डाउन के दौरान जो किसान और कृषि विरोधी तीन अध्यादेश थोंपे हैं और जिनको संसद में तमाम नियम कायदों को दरकिनार कर पारित करवा दिया उनका डट कर विरोध करें, क्योंकि ये काले कानून किसानों की लूट को बढ़ाएँगे तथा उनकी जमीन पर कॉर्पोरेट कंपनियों का कब्जा करना आसान हो जाएगा। इससे कालाबाजरी को भी कानूनी अधिकार मिल जाएगा और देश में तमाम किस्म की फसलों एवं अनाजों पर इन कंपनियों का एकाधिकार हो जाएगा, जिससे उपभोक्ताओं के लिए खाद्य वस्तुओं के दाम चुकाना मुश्किल हो जाएगा।
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