बस किराया बढ़ोतरी वापिस ले सरकार- माकपा

प्रेस विज्ञप्ति
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी)  प्रदेश सरकार द्वारा आज कैबिनेट बैठक में 25 प्रतिशत बस किराया में  की गई वृद्धि को लागू करने के निर्णय का विरोध करती है तथा प्रदेश सरकार से मांग करती है कि इस जनता पर आर्थिक बोझ लादने के निर्णय को  तुरन्त वापिस ले। अन्यथा पार्टी इस जनविरोधी निर्णय के विरुद्ध प्रदेशव्यापी जनांदोलन करेगी। आज कैबिनेट के इस बस किराया वृद्धि के निर्णय ने प्रदेश की बीजेपी सरकार व इनके मंत्रियों के दोहरे चरित्र को भी उजागर किया है। पिछले कैबिनेट की बैठक के बाद भी बस किराया वृद्धि को लेकर जब विरोद्ध हुआ था तो सरकार में मुख्यमंत्री, परिवहन मंत्री व अन्य मंत्री सभी निरन्तर यही बयान दे रहे थे कि प्रदेश में बस किराया नहीं बढ़ाया जाएगा परन्तु गुपचुप तरीके से चन्द लोगों के दबाव में आकर बस किराया वृद्धि को अंजाम देकर प्रदेशवासियों के साथ इस संकट की घड़ी में बड़ा धोखा किया है। सरकार ने जब 100 प्रतिशत सवारियों को लेकर बसे चलाने की इजाज़त दे दी है तो यह बस किराया वृद्धि का निर्णय बिल्कुल  भी तर्कसंगत व न्यायसंगत नहीं है। इस निर्णय से सरकार का जनविरोधी चरित्र स्पष्ट हुआ है और चन्द लोगो को लाभ देने हेतू जनता पर महंगाई की मार की जा रही है।
         कोविड19 के चलते सरकार द्वारा लॉकडाउन व कर्फ्यू के कारण आज देश व प्रदेश में करीबचार माह पूरे होने जा रहे है और इस दौरान लगभग हर क्षेत्र प्रभावित हुए हैं जिसके चलते बड़े पैमाने पर रोजगार समाप्त हुआ है। प्रदेश में लगभग सभी क्षेत्र जिनमे उद्योग, पर्यटन, कृषि, ट्रांसपोर्ट, कारोबार, वाणिज्य, दुकानदार आदि सभी बुरी तरह से इससे प्रभावित हुए है और सरकार से राहत की दरकार में है। इस दौरान प्रदेश में भी लाखो लोगों को रोजगार से वंचित होना पड़ा है और इनके समक्ष रोजी रोटी का बड़ा संकट हो गया है। इस विषम परिस्थिति में जनता सरकार से राहत की दरकार कर रही है। परन्तु ऐसे निर्णयों से राहत तो दूर सरकार ने लॉकडाउन के दौर में भी राशन, पानी, बिजली, डीज़ल, पेट्रोल, प्रॉपर्टी टैक्स, मालभाड़ा, कूड़ा उठाने की फीस आदि में वृद्धि कर जनता पर आर्थिक बोझ डालने का काम ही किया है। सरकार ने राशन में दिया जा रहा 80 करोड़ व बिजली में 100 करोड़ रुपये के उपदान को समाप्त कर दिया है। डीज़ल व पेट्रोल की कीमतों में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की है। जिससे मालभाड़े में 20 से 25 प्रतिशत तक की वृद्धि मालवाहकों के द्वारा की गई है। इससे महंगाई की मार जनता पर पड़ी है। ऐसे में जनता का जब रोजगार चला गया है और कारोबार बिल्कुल बन्द रहा है तो इस विषम परिस्थिति में सरकार राहत देने के बजाय सेवाओं की दरों में वृद्धि कर जनता पर महंगाई बड़ा कर आर्थिक बोझ और अधिक बड़ा रही है।
सी.पी.एम. सरकार से मांग करती है कि इस बस किराया वृद्धि को तुरंत वापिस ले और राशन व बिजली में दिए जा रहे उपदान की कटौती तथा पानी, प्रॉपर्टी टैक्स, कूड़े आदि की फीस ने की गई वृद्धि को वापिस ले। यदि सरकार इन जनता पर आर्थिक बोझ लादने वाले निर्णयों को वापिस लेकर राहत प्रदान नहीं करती तो सी.पी.एम. इस जनविरोधी निर्णय के विरुद्ध प्रदेशव्यापी आंदोलन तब तक चलायेगी जब तक सरकार इस निर्णय को वापिस नहीं लेती।
संजय चौहान
राज्य सचिवमण्डल सदस्य
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)
हिमाचल प्रदेश।

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