रेहड़ी फहडी व घोडा संचालकों की मांगों को लेकर सीटू का प्रतिनिधिमंडल संयुक्त आयुक्त नगर निगम से मिला
रेडी फड़ी व घोड़ा संचालोको की मांगो को लेकर संयुक्त आयुक्त नगर निगम शिमला को ज्ञापन सौंपा गया
रेडी फड़ी व घोड़ा संचालकों का काम इस दौरान काफी प्रभावित हुआ है।
22 मार्च से रेडी रेडी की दुकानें बंद थी जिसके कारण बहुत सारे रेहड़ी फड़ी को अपने परिवार का पालन पोषण करना बहुत मुश्किल हो गया था लॉकडाउन खुलने के बाद भी व दुकानें खुलने के बाद भी कोविड-19 के चलते बाजार पूरी तरह से मंदी की चपेट में है और इससे रेडी फड़ी भी अछूता नहीं है। इसलिए इन सारी समस्याओं के बारे में आज नगर निगम आयुक्त को ज्ञापन दिया गया रेडी फडी में जो लोग फास्ट फूड का काम करते हैं उन्हें रेहड़ी फड़ी लगाने की इजाजत दी जाए पिछले 5 महीनों से उनका धंधा बिल्कुल चौपट हो गया है ।जिसके कारण उन्हें अपने कमरों का किराया व बच्चों की स्कूल की फीस देना भी मुश्किल हो गया है । इसलिए रेडी फड़ी यूनियन संबंधित सीटू मांग करती है कि फास्ट फूड वाले को कार्य करने की इजाजत दी जाए। रेडी फड़ी के हर मजदूर को मार्च से जुलाई तक के हर महीने का 7500 सो रुपए की आर्थिक मदद की जाए वह सभी रेडी फ्डी वालों को पहचान पत्र दिया जाए। वेंडिंग जोन चिन्हित किए जाए।
रेडी रेडी का कार्य करने वाले को सर्टिफिकेट ऑफ बेंडिंग जारी किया जाए
इस पर नगर निगम आयुक्त ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही टीवीसी की बैठक को बुलाकर इन सारे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी और सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे।
इसी तरह जैसा कि आपको मालूम है कि दशकों से रिज मैदान पर घोड़ों का संचालन करने वाले घोड़ा संचालकों को भी लॉकडाउन के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है स्थानीय निवासी व पर्यटकको को को घोड़े पर सवारी करवा कर अपना रोजगार अर्जित कर अपने परिवार का पालन पोषण करते है।
लेकिन कोविड-19 के कारण उनका भी पूरा व्यवसाय चौपट हो गया है। क्योंकि इनका पूरा कारोबार अधिकतर पर्यटकों पर निर्भर करता है।
इस महामारी के दौरान इन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा है इन्हें अपने घोड़ों को जिंदा रखना भी एक चुनौती बन गया है । घोड़ों को जिंदा रखने के लिए चारे व चने खरीदना भी मुश्किल हो गया है। इसलिए घोड़ा संचालक यूनियन ने भी आज अपनी मांगों को लेकर संयुक्त आयुक्त को ज्ञापन दिया है। और मांग की है कि मार्च से जुलाई 2020 तक के 5 महीने तक का हर घोड़ा संचालक को हर महीने 75 सो रुपए की आर्थिक मदद की जाए ।
घोड़ों के लिए घास और चने का प्रबंध किया जाए ।
नगर निगम द्वारा घोड़ा संचालकों से जो संचालन फीस ली जाती है। इसे पूरे साल की माफ़ की जाए।
नगर निगम के संयुक्त आयुक्त ने इसमें सकारात्मक निर्णय लेने का आश्वासन दिया है दिया है।
बाबू राम
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