स्वरस्ती पैराडाइज स्कूल संजौली ने 400छात्रो को किया आनलाइन क्लासिज से बाहर_छात्र अभिभावक मंच

छात्र अभिभावक मंच ने सरस्वती पैराडाइज़ इंटरनेशनल स्कूल संजौली द्वारा चार सौ से ज़्यादा छात्रों को ऑनलाइन क्लास से बाहर करने की कड़ी निंदा की है। मंच ने मांग की है कि उच्चतर शिक्षा निदेशक इसका कड़ा संज्ञान लें व स्कूल प्रबंधन पर एपिडेमिक एक्ट व डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के प्रावधानों के अनुसार एफआईआर दर्ज़ करके  सख्त कार्रवाई अमल में लाएं। मंच ने ऐलान किया है कि सरस्वती पैराडाइज़ स्कूल व अन्य निजी स्कूलों की मनमानी व तानाशाही के खिलाफ मंच 24 जुलाई को शिक्षा निदेशालय का घेराव करेगा व मोर्चाबन्दी करेगा।

           मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा व सदस्य विवेक कश्यप ने कहा है कि अब निजी स्कूलों की।मनमानी बर्दाश्त नहीं होगी। उन्होंने कहा है कि सरस्वती पैराडाइज़ स्कूल ने चार सौ छात्रों को ऑनलाइन क्लासेज़ से बाहर कर दिया है। इन छात्रों को कक्षावार व्हाट्सएप्प ग्रुपों व ऑनलाइन ग्रुपों से बाहर कर दिया गया है। इस से छात्र व अभिभावक भारी मानसिक दबाव में हैं। यह स्कूल लगातार तानाशाही कर रहा है। इस स्कूल ने पिछले एक वर्ष में शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी एक दर्जन अधिसूचनाओं व आदेशों को लगातार ठेंगा दिखाया है। इस स्कूल ने टयूशन फीस वसूली को लेकर मई माह में प्रदेश सरकार की कैबिनेट द्वारा जारी आदेशों को लागू करने से भी मना कर दिया है। यह स्कूल अभिभावकों से ली गयी तीन महीने की एडवांस फीस को भी लौटाने को तैयार नहीं है। स्कूल ने अपनी वेबसाइट से वर्ष 2020 की फीस का ढांचा व उसका मदवार ब्यौरा भी हटा दिया है। स्कूल ने सभी चार्जेज़ सहित कुल फीस को ही टयूशन फीस बना दिया है। इस सबके खिलाफ दो दिन पहले ही स्कूल के अभिभावक उच्चतर शिक्षा निदेशक से मिले थे व उन्हें ज्ञापन सौंपा था। इस से पहले भी अभिभावक स्कूल की मनमानी के खिलाफ दो बार निदेशक से मिल चुके हैं। इस सबके बावजूद स्कूल लगातार मनमानी कर रहा है।

                 विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि चार सौ छात्रों को ऑनलाइन क्लासेज़ से बाहर करने का निर्णय पूरी तरह अमानवीय व गैर संवैधानिक है। यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 39(एफ) का सीधा उल्लंघन है जोकि छात्रों के नैतिक व भौतिक अधिकार सुनिश्चित करता है तथा छात्रों के किसी भी प्रकार के शोषण पर रोक लगाता है। यह अनुच्छेद 21-A में शिक्षा के अधिकार के तहत अनिवार्य शिक्षा का उल्लंघन है। यह संविधान के नीति निर्देशक सिद्धान्तों का भी उल्लंघन है जोकि अनिवार्य शिक्षा की वकालत करते हैं। उन्होंने कहा कि यह तानाशाही है व सीधे सरकार व शिक्षा निदेशालय के आदेशों को चुनौती है। इस तरह यह स्कूल पूरी तरह मनमानी पर उतर आया है। अब वक्त आ गया है जब सरकार व शिक्षा निदेशालय जागे व प्रबन्धन पर सख्त कार्रवाई अमल में लाए।

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