स्वास्थ्य विभाग में व्यापक भ्रष्टाचार को लेकर सीपीआईएम का राज्य नेतृत्व राज्यपाल हिमाचल प्रदेश से मिला
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी)
राज्य कमेटी, हिमाचल प्रदेष
9, बाबा बिल्डिंग, माल रोड़ षिमला
दिनांकः 03-06-2020
श्री बंडारू दत्तात्रेय
महामहिम राज्यपाल
हिमाचल प्रदेश
मान्यवर,
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), राज्य इकाई की ओर से हम अधोहस्ताक्षरी स्वास्थ्य विभाग में स्वास्थ्य संबंधी वस्तुओं, उपकरणों, और दवाइयों की खरीद में गहरे भ्रष्टाचार से चिंतित हैं। यह भ्रष्टाचार ऐसे समय में अधिक गहरा हुआ है जब हिमाचल प्रदेश में कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि हो रही है। बहुत दृढ़ता के साथ हमारा मानना है कि यदि इस समय कथित वायरस का वैज्ञानिक तरीके से मुकाबला नहीं किया गया तो यह मानव जीवन पर कहर बरपा सकता है। यह स्थिति सरकार को इस दिशा में समय पर कदम उठाने और हस्तक्षेप की मांग करती है ताकि लोगों के जीवन और आजीविका पर इसका प्रभाव न हो।
प्रथम दृष्टया वायरस के फैलाव को रोकने में अहम भूमिका निभाने वाले स्वास्थ्य उपकरणों की खरीद में भ्रष्टाचार को रोकने में सरकार विफल रही है। संविधान द्वारा आपके कार्यलय को प्रदान की गई शक्तियों के आधार पर हम आपसे इस मुद्दे में हस्तक्षेप करने और सरकार को इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर दिशानिर्देश देने की मांग करते हैं।
1. स्वास्थ्य वस्तुओं और उपकरणों (उदाहरण के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई)), सेनेटाइजर में भ्रष्टाचार की जांच जो हिमाचल प्रदेश सतर्कता विभाग द्वारा की जा रही है, उसे माननीय उच्च न्यायालय को उपयुक्त दिशानिर्देश एवं जांच के लिए सौंपने के निर्देश दें।
2. हिमाचल प्रदेश सरकार को निर्देश दें कि कोविड-19 महामारी के लिए प्राप्त किये गए फंड पर श्वेत पत्र जारी करके उसे सार्वजनिक डोमेन में लाए।
3. चिकित्सा उपकरण नियम 2007 के तहत कोविड-19 से निपटने के लिए खरीदे गए चिकित्सा उपकरणों व दवा महानियंत्रक, भारत के तहत आने वाली वस्तुओं की खरीद के अनुमोदन के लिए नैतिक समिति के गठन का सुझाव दें।
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा सतर्कता जांच आंखों में धूल झोंकने वाली है
अ) 21-05-2020 से 25-05-2020 तक सतर्कता जांच प्रासंगिक दस्तावेजों को हासिल करने, संभावित दोषियों को हिरासत में लेने में विफल रही और एक दोषी डाॅ. ए.के. गुप्ता को आईजीएमसी में दाखिल करने की अनुमति क्यों दी गई। दरअसल जांच एजेंसी द्वारा यह इजाजत देना एक रणनीति के तहत था ताकि जांच के प्रारंभिक चरण में चिकित्सा माफिया को साक्ष्य नष्ट करने का मौका मिल सके। सत्ता पक्ष केप्रभावशाली नेता भ्रष्टाचार गैंग के रिमोट कंट्रोल हैं।
ब) समझ से परे है कि अपैक्स डियग्नोस्टिक्स के मार्केटिंग मैनेजर और भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा, सिरमौर के पूर्व अध्यक्ष श्री पृथ्वी सिंह को भ्र्ष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 (संशोधित) की धारा 8 के तहत हिरासत में नहीं लिया गया। उन्हें यह तरजीह देने का कारण स्पष्ट है।
स) विजिलेंस टीम द्वारा अभियुक्त को बहाल करना साबित करता है कि कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए खरीदी गई विभिन्न वस्तुओं के बाद,आपदा प्रबंधन अधिनियम के संचालन के बाद 10 वेंटिलेटर की खरीद में भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। दैनिक जागरण अखबार की खबर के अनुसार एक वेंटिलेटर जिसकी कीमत अनुमानतः 3 लाख रुपये है उसे 10 लाख रुपये में खरीदा गया। अगर मीडिया सचेत न होता तो यह महत्वपूर्ण तथ्य भी छुपा लिया गया होता।
द) ऐतिहासिक रूप में सतर्कता विभाग का इस्तेमाल सरकारों द्वारा एक औजार के रूप में किया जाता रहा है।
क) जब भी भ्रष्टाचार के मामलों को मीडिया द्वारा सामने लाया गया, लोगों के समूहों द्वारा भ्रष्टाचार को हाशिये पर ले जाने की कोशिशें की गई, प्रगतिशील ताकतों द्वारा भ्रष्टाचार का खुलासा किया गया, उस वक्त लोगों का गुस्सा शांत करने के लिए।
ख) दोषियों को बचाने के लिए, साथ ही जनता में यह भ्रम पैदा करने के लिए की सरकार भ्रष्टाचार के प्रति गंभीर है और दोषियों को नहीं बख्शा जायेगा।
मान्यवर, सरकार को माननीय उच्च न्यायालय को मामला सौंपने का सुझाव देने के लिए आपका विवेकपूर्ण और समयबद्ध निर्णय लोगों को वायरस के खिलाफ निर्णायक लड़ाई को अंजाम देने में मददगार होगा।
आप इससे भली भांति अवगत हैं कि क्रोनी कैपिटलिज्म के दौर में कॉरपोरेट, नौकरशाही और राजनेताओं की सांठगांठ को तोड़ने की जरूरत है अगर तीव्रता से गहराते इस संकट, जो दुनिया भर में नजर आ रहा है उससे इस तंत्र को बचाना है।
शीघ्र निर्णय की आशा में
भवदीय
राकेश सिंघा
डाॅ. कुलदीप सिंह तंवर
संजय चैहान
फालमा चैहान
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