किसान विरोधी नीतियां वापिस लो-हिमाचल किसान सभा

कोरोना के कहर के बीच केंद्र सरकार ने 3 जून को केबिनेट बैठक कर तीन अध्यादेश जारी किए।  ये अध्यादेश किसानों को मंजूर नहीं हैं। इसी लिए आज किसान सभा ने चौंतड़ा (जोगिंदर नगर) में इन अध्यादेशों की प्रतियाँ जलायी तथा केंद्र सरकार से इनको वापस लेने की मांग की: ये अध्यादेश निम्नलिखित हैं:-
1. The Farmers’ Produce Trade and Commerce( Promotion and Facilitation) Ordinance 2020 यानि कि कृषि उत्पाद वाणिज्य(प्रोत्साहनएवं सहूलियत सरलीकरण) अध्यादेश 2020 
2. The Farmers ( Empowerment and Protection) Agreement on Price Assurance and Farm Services ordinance यानि कि किसान (शक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य वादा तथा खेती सेवा अध्यादेश 2020 

उपरोक्त अध्यादेश प्रधानमंत्री द्वारा आत्मनिर्भर भारत के लिए घोषित पैकेज के हिस्से के तौर पर लाये गए हैं। ये आध्यादेश दरअसल कॉर्पोरेट घरानों, बड़ी कंपनियों व आढ़तियों को किसानों की लूट की खुली छूट देते हैं। इनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का कोई जिक्र नहीं है। किसानों की मांग और भाजपा द्वारा सन 2014 के लोकसभा चुनावों के घोषणापत्र के अनुरूप C2+50% यानि की लागत मूल्य से ऊपर 50 प्रतिशत देने का कोई जिक्र नहीं किया हैके माध्यम इन अध्यादेशों के माध्यम से कृषि व्यापार की बड़ी कंपनियों तथा बड़े आढ़तियों के लिए किसान की लूट का रास्ता साफ़ कर दिया है। इस तरह सरकार न केवल खाद्यान्न तथा कृषि उपज खरीदी से लगभग पूरी तरह बाहर हो गयी है बल्कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की बची खुची संभावनाएं भी चौपट कर दी हैं। ठेका खेती को छूट अलग से दे दी गयी है। 

इसी प्रकार मोदी सरकार The Essential Commodities (Amendment) Ordinance, 2020 यानि कि आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम लाकर आवश्यक वस्तु अधिनियम को समाप्त कर सारे प्रतिबंध पहले ही उठा चुकी थी। इससे न केवल कालाबाजारी और जमाखोरी जायज हो जाएगी बल्कि नागरिकों की खाद्यान्न सुरक्षा भी संकट में पड़ जाएगी।

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