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सत्ता बदली पर अभिभावकों का शोषण नहीं रुका, छात्र अभिभावक मंच फिर पहुंचा शिक्षा निदेशालय

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छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश ने निजी स्कूलों की मनमानी लूट, भारी फीसों, किताबों एवं वर्दी की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के खिलाफ उच्चतर शिक्षा निदेशालय शिमला के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के बाद मंच का प्रतिनिधिमंडल शिक्षा निदेशक अमरजीत शर्मा से मिला व उन्हें एक मांग-पत्र सौंपा। निदेशक ने आश्वासन दिया कि निजी स्कूलों में आम सभाएं आयोजित करने, पीटीए के गठन, आम सभाएं आयोजित करने, फीस बढ़ोतरी, किताबों एवम वर्दी की कीमतों में बढ़ोतरी पर रोक लगाने के लिए तुरन्त आदेश जारी कर दिए जाएंगे। इस बाबत वह जल्द अधिसूचना जारी करेंगे। उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों पर नकेल लगाने के लिए कानून व रेगुलेटरी कमीशन बनाने का प्रस्ताव वह जल्द सरकार को भेजेंगे। प्रदर्शन में विजेंद्र मेहरा, विवेक कश्यप, बालक राम, बलबीर पराशर, रामप्रकाश, कपिल नेगी, प्रताप चंद,अमित कुमार, अंजू, पवन, संजय सामटा, देवराज, बॉबी, रवि, रोशन आदि मौजूद रहे। मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा व सह संयोजक विवेक कश्यप ने निजी स्कूलों की मनमानी लूट, भारी फीसों, किताबों एवं वर्दी की कीमतों में भारी बढ़ोतरी पर रोक लगाने के लिए प्रदेश सरकार से कानू...

महिलाओं और कामकाजी लोगों को धोखा देने का प्रयास जनवादी महिला समिति की केन्द्रीय बजट पर प्रतिक्रिया

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प्रैस विज्ञाप्ति  जनवादी महिला समिति हिमाचल राज्य कमेटी ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के आखिरी पुर्ण बजट को बड़े पूजीपति घरानों के  एजेंडे को बढ़ाबा देने के लिये देश की महिलाओं और कामकाजी लोगो को धोखा देने का प्रयास किया है।बजट के नाम पर सरकार द्वारा फैलाई जा  रही कहानी झूठा छलावा करने और यह दिखाने के लिए बनाया गया है कि सब कुछ ठीक है और लोग आत्मनिर्भर हो रहे है।हालांकि, हमे मौजूदा सामाजिक वास्तविकता सरकार की तुलना करने की ज़रूरत है।  बजट की प्रस्तुति को बढ़ती असमानता ओर गहराते आर्थिक संकट के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। वैश्विक असमानता रिपोर्ट, 2022 के अनुसार, 1प्रतिशत आबादी अर्थात भाजपा सरकार के पूंजीपति साथी, देश की 40 प्रतिशत से अधिक संपत्ति को नियंत्रित कर रहे हैं, जबकि 50 प्रतिशत केवल 3 प्रतिशत को नियंत्रित कर रहे हैं ओर अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। महिलाएं और उनके परिवार रोज़गार के गंभीर संकट से जूझ रहे हैं लेकिन बजट इस हकीकत से बेखबर है । इसके बजाय , ये वेतनभोगी वर्ग को न्यूनतम कर राहत प्रदान करता है। बजट पर करीब से नज़र डालने से पता च...

महिलाओं और कामकाजी लोगों को धोखा देने का प्रयास भारत की जनवादी महिला समिति की केन्द्रीय बजट पर प्रतिक्रिया

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प्रैस विज्ञाप्ति  जनवादी महिला समिति हिमाचल राज्य कमेटी ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के आखिरी पुर्ण बजट को बड़े पूजीपति घरानों के  एजेंडे को बढ़ाबा देने के लिये देश की महिलाओं और कामकाजी लोगो को धोखा देने का प्रयास किया है।बजट के नाम पर सरकार द्वारा फैलाई जा  रही कहानी झूठा छलावा करने और यह दिखाने के लिए बनाया गया है कि सब कुछ ठीक है और लोग आत्मनिर्भर हो रहे है।हालांकि, हमे मौजूदा सामाजिक वास्तविकता सरकार की तुलना करने की ज़रूरत है।  बजट की प्रस्तुति को बढ़ती असमानता ओर गहराते आर्थिक संकट के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। वैश्विक असमानता रिपोर्ट, 2022 के अनुसार, 1प्रतिशत आबादी अर्थात भाजपा सरकार के पूंजीपति साथी, देश की 40 प्रतिशत से अधिक संपत्ति को नियंत्रित कर रहे हैं, जबकि 50 प्रतिशत केवल 3 प्रतिशत को नियंत्रित कर रहे हैं ओर अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। महिलाएं और उनके परिवार रोज़गार के गंभीर संकट से जूझ रहे हैं लेकिन बजट इस हकीकत से बेखबर है । इसके बजाय , ये वेतनभोगी वर्ग को न्यूनतम कर राहत प्रदान करता है। बजट पर करीब से नज़र डालने से पता चलता है कि सर...

सीटू की केन्द्रीय बजट पर प्रतिक्रिया बजट में आम जनता के लिए कुछ नहीं, ओनली पूंजीपतिपरस्त बजट

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सीटू राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट को पूंजीपतिपरस्त व मजदूर विरोधी करार दिया है। यह बजट महज़ आंकड़ों का मकड़जाल है व आम जनता के लिए ऊंट के मुंह में जीरा डालने के समान है। सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने कहा है कि यह बजट नवउदारवादी नीतियों की रफ्तार व सरकारी ढांचे को तोड़ कर निजीकरण की गति को तेज करने वाला है। इस से केवल पूंजीपतियों के फायदा होगा व महंगाई के मध्यनज़र मजदूरों की स्थिति और बिगड़ेगी। इस बजट में बैंक, बीमा, दूरसंचार, रेल, एयरपोर्ट, ऊर्जा, यातायात, परिवहन सहित सार्वजनिक क्षेत्र के सभी उपक्रमों की खुली बिक्री का दरवाजा खोल दिया गया है। बजट ने सेवा क्षेत्र को खोखला करने का ही कार्य किया है। इस बजट में मजदूरों व कर्मचारियों के हित में कुछ भी खास नहीं है। बजट ने मजदूरों की भारतीय श्रम सम्मेलन व माननीय उच्चतम न्यायालय की सिफारिश अनुसार वर्तमान में मजदूरों की 26 हज़ार रुपये न्यूनतम वेतन की मांग को अनदेखा कर दिया है। आंगनबाड़ी, आशा, मिड डे मील, एनएचएम सहित सभी योजनकर्मियों के किये बजट में कुछ भी नहीं है। औद्योगिक मजदूर...