xxसेब सीजन को देखते हुऐ उचित मालवाहको, पैकेजिंग सामाग्री और मजदूरों की व्यवस्था करै सरकार-CPIM

प्रेस विज्ञप्ति
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) प्रदेश सरकार की अभी तक सेब व अन्य फलों के सीजन को लेकर की गई आधी अधूरी तैयारियों को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त करती है और मांग करती है कि सेब व अन्य फलों के सीजन को देखते हुए इसकी तैयारियों के लिए समय रहते उचित कदम उठाये ताकि आने वाले दिनों में बागवानों को मजदूरों, पैकेजिंग सामग्री, मालवाहक वाहनों आदि की कमी से न जूझना पड़े। जिस प्रकार से देखा जा रहा है कि सेब व अन्य फलों का सीजन आरम्भ हो गया है और आगामी 10 से 15 दिनों में निचली व मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में यह पूरा जोर पकड़ लेगा। परन्तु कोविड19 के चलते पैदा हुई विषम परिस्थितियों के कारण प्रदेश में मजदूरों, पैकेजिंग सामग्री व अन्य साधनो की बड़े पैमाने पर कमी देखी जा रही है। इसके साथ ही सरकार द्वारा हाल ही में पेट्रोल व डीजल की कीमतों में भारी वृद्धि से महंगाई बढ़ रही है तथा ट्रकों व अन्य मालवाहकों के भाड़े में भी 20 प्रतिशत तक कि वृद्धि कर दी गई है। बाज़ार में पैकेजिंग सामग्री भी 10 से 20 प्रतिशत तक महंगे दामो में उपलब्ध करवाई जा रही है। यदि सरकार द्वारा समय रहते इन समस्याओं के समाधान हेतू ठोस कदम नहीं उठाए गए तो प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाली लगभग 4500 करोड़ की सेब की आर्थिकी बर्बाद हो जाएगी। इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा जिससे लाखों किसानों व बागवानों का रोजी रोटी का संकट और अधिक गंभीर हो जाएगा।
     कोविड19 व प्राकृतिक आपदा के कारण प्रदेश में सेब व अन्य फल उत्पादक पहले ही संकट के दौर से गुजर रहें है। प्राकृतिक आपदाओं जैसे असमायिक वर्षा व ओलावृष्टि से पहले ही सेब व अन्य फलों की लगभग 65 प्रतिशत फसल बर्बाद हो गई है। जिससे प्रदेश के किसान व बागवान करोड़ो रूपये का नुकसान पहले ही झेल चुके है। प्रदेश में मौसम की बेरुखी से बगीचों में स्कैब, माईट, वूली एफिड, मरसोनिना आदि बीमारियों व अन्य कीटों का प्रकोप भी इस वर्ष बड़े पैमाने पर देखा जा रहा है। सरकार द्वारा समय रहते फफूंदीनाशक व कीटनाशक उपलब्ध न करवाने व बाजार में इनके महंगे दामों के कारण बागवान समय पर छिड़काव नहीं कर पाए हैं। जिसके परिणामस्वरूप इन बीमारियों की रोकथाम नहीं हो पाई और इनका प्रकोप अधिक बढ़ गया है और फसल खराब हुई है।
         इस वर्ष प्रदेश का किसान व बागवान मजदूरों की कमी को लेकर अत्यंत चिंतित है और यदि समय रहते मजदूरों का प्रबंध नहीं किया गया तो बागवान अपना उत्पाद बगीचों से मण्डियों तक नहीं पहुंचा पाएंगे और इससे आर्थिक रूप से भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। अधिकांश खेत व बगीचे सड़क से जुड़े न होने के कारण सेब व अन्य फल पीठ में ढोकर सड़क तक लाया जाता है जहां से गाड़ियों व ट्रकों के माध्यम से मण्डियों तक ले जाया जाता है। इस कार्य मे लगभग 60 प्रतिशत नेपाल से मज़दूर आकर इस कार्य को करता है। कोविड19 व नेपाल से संबंधों जैसे कुछ मुद्दों के कारण इस वर्ष यह मजदूर नहीं आ पाया है और इन मजदूरों के न आने से बागवानों के समक्ष एक गंभीर संकट खड़ा हो गया है। सरकार अभी तक इसका समाधान निकालने के लिए कोई संजीदा कदम नहीं उठा पाई है जिससे बागवानों की चिंता और अधिक बढ़ गई है। इस समस्या का यदि समय रहते कोई उचित समाधान नहीं होता तो सेब की आर्थिकी बर्बादी के कगार पर चली जाएगी।
               सी.पी.एम. सरकार से मांग करती हैं कि प्रदेश में मजदूरों की कमी को दूर करने के लिए तुरंत केंद्र सरकार से बात कर नेपाल व अन्य राज्यों से मजदूरों को लाने के लिए तुरंत ठोस क़दम उठाये और शीघ्र मजदूरों को काम पर लाया जाए। पैकेजिंग सामग्री व ट्रकों तथा अन्य साधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए तथा इनकी दरों में की गई वृद्धि तुरंत वापिस ली जाए। बागवानों को पहले की भांति बागवानी विभाग के पौध संरक्षण केंद्रों के माध्यम से फफूंदीनाशक व कीटनाशक उपदान पर मांग अनुसार उचित मात्रा में उपलब्ध करवाए जाए ताकि बागवान समय रहते छिड़काव कर बगीचों में आई बीमारियों पर क़ाबू पा सके। बागवानों का गत वर्षों का एच पी एम सी व हिमफेड के पास सेब का बकाया भुगतान तुरंत किया जाए ताकि इस संकट के समय बागवान इससे अपना ख़र्च चला सके। सरकार इन मांगों पर तुरंत अमल कर किसानों व बागवानों को राहत प्रदान करें व इस संकट की घड़ी में अपने संवैधानिक उत्तरदायित्व का निर्वहन कर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए गंभीरता से प्रयास करें।
संजय चौहान
राज्य सचिवमण्डल सदस्य
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी)
हिमाचल प्रदेश।

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